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Google Willow: क्या है गूगल विलो? सुपर कंप्यूटरों को भी छोड़ सकता है पीछे, AI के साथ मिलकर ला सकता है टेक्नोलॉजी में क्रांति

Google Willow: क्वांटम कंप्यूटिंग सेक्टर में तहलका मचाने वाली गूगल विलो चिप क्या सुपर कंप्यूटरों को पीछे छोड़ सकती है। विलो चिप किस तरह से AI के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी में क्रांति ला सकता है।

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Google Willow
Photo Credit: Google, Google Willow

Google Willow: दुनिया की कई कंपनियां टेक्नोलॉजी की जंग लड़ रही हैं। जी हां, इसमें माइक्रोसॉफ्ट, ओपनएआई, मेटा, Nvidia के साथ गूगल भी शामिल है। हर टेक कंपनी कोशिश कर रही है कि वह किसी तरह से तकनीक के क्षेत्र में सबसे आगे निकल जाए। इस प्रयास में गूगल ने बीते साल एक खास कारनामा किया था। अगर आप भूल गए हैं, तो आपको याद दिला दें कि गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने गूगल विलो को पेश किया था। इसके साथ ही क्वांटम कंप्यूटिंग के सेक्टर में तहलका मच गया था। गूगल ने बड़ा दावा करते हुए कहा था कि गूगल विलो केवल 5 मिनट में किसी भी कठिन परेशानी को ठीक कर सकता है। जबकि एक साधारण कंप्यूटर दस सेप्टिलियन यानी 1025 साल लगा सकता है। यही वजह है कि गूगल विलो ने आते ही मार्केट में बड़े-बड़े टेक जाइंट्स को हिलाकर रख दिया था।

क्या है Google Willow?

टेक इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनी गूगल ने काफी मेहनत के साथ गूगल विलो को बनाया था। गूगल विलो एक अत्याधुनिक चिप है, इसे क्वांटम कंप्यूटिंग चिप भी कहा जा सकता है। इस चिप को गूगल की क्वांटम एआई टीम के सदस्यों ने मिलकर बनाया है। यह चिप क्यूबिट, जिसे क्वांटम बिट के नाम से जाना जाता है। क्यूबिट क्वांटम कंप्यूटिंग में सूचना की मूल यूनिट्स होती हैं। ऐसे में क्यूबिट की संख्या बढ़ने से क्वांटम कंप्यूटिंग में गलतियों को तेजी से कम करने की कैपेसिटी को दर्शाता है। गूगल विलो क्या है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि सुपर कम्प्यूटरों द्वारा लिए जाने वाले टाइम के एक छोटे से हिस्से में गणना करने की कैपेसिटी का भी प्रदर्शन करता है और कठिन परेशानियों का हल निकालता है। इतना कठिन काम पारंपरिक कम्प्यूटरों के लिए काफी दूर की बात है।

Google Willow सुपर कंप्यूटरों को भी छोड़ सकता है पीछे?

अब तक की धाकड़ क्वांटम चिप उतारकर गूगल ने बड़े-बड़े दावें किए। टेक मेकर गूगल ने विलो क्वांटम चिप को इस तरह से पेश किया है कि सुपर कंप्यूटरों को पीछे छोड़कर क्वांटम कंप्यूटरों की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। गूगल के मुताबिक, गूगल विलो चिप में 105 क्यूबिट हैं और यह क्यूबिट के बीच कनेक्टिविटी को बेहतर बनाता है, जो अधिक कठिन गणनाओं को सुगमता के साथ करने के लिए जरूरी है।

टेक कंपनी ने दावा किया है इस चिप की गलती करने की दर काफी कम है। मगर अभी भी क्वांटम कंप्यूटिंग में कई लोगों के यह एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि गूगल विलो चिप ने अपनी अद्भूत क्षमताओं से सुपर कंप्यूटरों को पीछे छोड़ दिया है। गूगल विलो की किसी भी कम्प्यूटेशनल परेशानी को 5 मिनट के भीतर समाप्त कर सकता है। इसके साथ ही गूगल विलो ने क्वांटम कंप्यूटरों की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है।

क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है?

गूगल विलो ने आते ही क्वांटम कंप्यूटिंग में तहलका मचा दिया हो। मगर काफी लोगों को यह नहीं पता है कि आखिर क्वांटम कंप्यूटिंग क्या है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि क्वांटम कंप्यूटिंग एक एडवांस कंप्यूटिंग है। यह जानकारी को प्रोसेस करने के लिए क्वांटम मशीन के नियमों का इस्तेमाल करती है। क्लासिकल कंप्यूटरों के मुकाबले क्वांटम कंप्यूटिंग में डेटा की सबसे छोटी यूनिट का यूज होता है। इसे बिट्स कहते हैं, ऐसे में क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम बिट्स या क्यूबिट्स का इस्तेमाल करते हैं। क्वांटम कंप्यूटर एक साथ बड़े लेवल पर डेटा को प्रोसेस कर सकते हैं, मतलब उसको छान सकते हैं। ऐसे में क्वांटम कंप्यूटर में जितने अधिक क्यूबिट होते हैं, वह उतना ही उपयोगी और फास्ट होता है।

Google Willow AI के साथ मिलकर ला सकता है टेक्नोलॉजी में क्रांति

कई टेकनोलॉजी एक्सपर्ट का मानना है कि गूगल विलो की बेहद ही फास्ट डेटा प्रोसेसिंग क्षमता और सुपर कंप्यूटरों की तुलना में सिर्फ 5 मिनट में ही कठिन कम्प्यूटेशनल दिक्कतों का समाधान देने की क्षमता लाजवाब है। ऐसे में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इससे प्रभावित हो सकता है। मगर इन सबमें कई साल सकते हैं। वहीं, इस टेक्नोलॉजी को आम लोगों तक पहुंचाने में लंबा वक्त लगने की संभावना है। हालांकि, गूगल विलो चिप एआई मॉडल तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर में काफी अहम भूमिका निभा सकती है। वर्तमान समय में इस सेक्टर में Nvidia कब्जा जमाकर बैठा है।

गूगल विलो क्या कर सकता है?

क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया में तहलका मचाने वाला Google Willow कई तरह के काम कर सकता है। गूगल विलो के जरिए किसी एआई मॉडल को ट्रेनिंग दी जा सकती है। साथ ही एआई मॉडल का कंट्रोल यानी उसे चलाया जा सकता है। गूगल विलो चिप का इस्तेमाल कई कठिन रिसर्च जैसे नई मेडिसिन की खोज और किसी गंभीर बीमारी का इलाज ढूंढने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा यह एनर्जी सेक्टर में भी नई संभावनाओं को तलाश सकती है।

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