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ISRO ने NVS-01 सैटेलाइट को लॉन्च करके हासिल किया नया मुकाम, मोबाइल नेटवर्क से लेकर दुश्मनों पर बनेगी मजबूत पकड़

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ISRO: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO, Indian Space Research Organization) ने सोमवार को एक मुकाम हासिल किया है। इसरो ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नई जनरेशन की सैटेलाइट लॉन्च की है। सतीश धवन स्पेस सेंटर से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी-एफ12) (GSLV-F12) रॉकेट को सुबह 10:42 मिनट पर लॉन्च किया गया। इस सैटेलाइट का नाम NVS-01 रखा गया है। बताया जा रहा है कि इस स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है।

भारत के लिए नया मुकाम

कहा जा रहा कि भारत के लिए ये सैटेलाइट काफी उपयोगी साबित होगी। इस सैटेलाइट से देश का नेविगेशन सिस्टम काफी मजबूत होगा। इसके साथ ही भारत की सीमाओं की रक्षा करने में ये एक अहम भूमिका निभाएगी। देश की सेना को दुश्मनों के अड़्डों की सटीक और पहले से अधिक जानकारी हासिल हो सकेगी। आपको बता दें कि ये सैटेलाइट किसी भी इमरजेंसी स्थिति में देश की सेना के लिए तीसरी आंख का काम करेगी।

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जानिए क्यों पड़ी इसकी जरूरत

ज्ञात हो कि इससे पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सिस्टम (IRNSS) के तहत सात NavIC  सैटेलाइट भेजे गए थे। अभी तक इनके भरोसे ही भारत का नेविगेशन सिस्टम चल रहा था। इनके जरिए भारतीय सेना, विमानों का आवागमन जैसे अहम कार्य किए जा रहे थे। मगर इनमें से 3 सैटेलाइट ने अपना काम करना बंद कर चुके हैं। यही वजह है कि इसरो ने पांच नए सैटेलाइट का एक समूह लॉन्च कर उसे अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया है।

ISRO प्रमुख ने क्या कहा

वहीं, इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने कहा है कि पहले से सात नाविक सैटेलाइट में से 3 ने काम करना बंद दिया था। ऐसे में उन्हें बदलने से अच्छा था कि नक्षत्रों के नए समूह को लॉन्च किया जाए। ये नई तकनीक पर आधारित हैं और पहले से बेहतर तरीके से काम करेंगी।

NAVIC (नाविक) से भारत को फायदा

गौरतलब है कि इसरो ने अंतरिक्ष में स्वदेसी नेविगेशन सैटेलाइट (NAVIC) कहा गया है। NAVIC अंतरिक्ष में रहकर जमीन के स्पेस स्टेशन की तरह काम करेगा। बताया जा रहा है कि इस नए सैटेलाइट से जीपीएस सिस्टम पहले से अधिक बेहतर हो जाएगा। साथ ही नेविगेशन में काफी सुधार आएगा। इसके साथ ही ये सैटेलाइट टूरिज्म और पर्यटन क्षेत्र को भी काफी बढ़ावा देगी। इसके अलावा इसके जरिए अमेरिक नेविगेशन पर निर्भता कम होगी और भारत अपने नेविगेशन सिस्टम के जरिए अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की बेहतर सुरक्षा कर पाएगा।

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