Babri Masjid Demolition: इस्लामाबाद से लेकर कराची, रावलपिंडी तक उबाल की स्थिति है। इसका प्रमुख कारण है पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का एक बयान जिसमें बाबरी विध्वंस का जिक्र है। दरअसल, चर्चित बाबरी मस्जिद के विध्वंस की 33वीं बरसी पर फिर पाकिस्तानी हुकूमत तिलमिला उठी है। हर वर्ष की तरह इस बार भी पाकिस्तान की ओर से 6 दिसंबर के दिन भड़काऊ बयान जारी कर बाबरी मस्जिद विध्वंस का जिक्र किया गया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने अजीबोगरीब बयान देते हुए संयुक्त राष्ट्र को इस प्रकरण में घसीट लिया है। पाकिस्तानी हुकूमत की ओर से जारी भड़काऊ बयान की चर्चा भारत में भी हो रही है और इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है।
बाबरी विध्वंस की 33वीं बरसी पर पाकिस्तानी हुकूमत की बौखलाहट!
हर वर्ष की तरह इस बार भी बाबरी विध्वंस की 33वीं बरसी पर पाकिस्तानी हुकूमत की बौखलाहट सामने आई है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि “पाकिस्तान धार्मिक धरोहरों और पवित्र स्थलों की सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा जिम्मेदारी मानता है। बाबरी मस्जिद भी एक विरासत स्थल थी।” अंद्राबी ने आगे कहा कि “मुसलमानों के धार्मिक स्थलों या ऐतिहासिक विरासत को कमजोर करने वाली सभी कार्रवाइयों का समाधान पारदर्शिता और न्याय को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। पाकिस्तान का मानना है कि किसी भी धार्मिक स्थल का अपमान करना धार्मिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है। इससे दोनों समुदायों के बीच आपसी सम्मान की भावना कमजोर होती है।”
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी इस आधिकारिक तल्ख प्रतिक्रिया को लेकर खूब सुर्खियां बन रही हैं।
बयान जारी कर यूएन को भी मामले में घसीटा
आधिकारिक तौर पर बयान जारी कर पाकिस्तानी हुकूमत ने संयुक्त राष्ट्र को भी बाबरी विध्वंस की बरसी पर घसीट लिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि “हम संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक समुदाय से अपील करते हैं कि वे मुसलमानों की धार्मिक विरासत की रक्षा के महत्व को समझें। उन्हें यह सुनिश्चित करने में मदद करनी चाहिए कि बाबरी मस्जिद विध्वंस जैसी घटनाएं दोबारा न हों।” अल्पसंख्यकों पर क्रूरता के लिए मशहूर पाकिस्तानी हुकूमत की ये दिखावटी दरियादिली चर्चा का विषय बनी है।






