Sheikh Hasina: कोर्ट के एक फैसले ने शेख हसीना की मुश्लिकें बढ़ा दी हैं। आईसीटी द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद अब मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार भारत से शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर रही है। खबर है कि अंतरिम सरकार इंटरपोल की मदद भी लेगी जिसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मामला फंस सकता है।
इंटरपोल रेड नोटिस पर भारत के समक्ष कुछ ऐसे विकल्प हैं जिनकी चर्चा जोरों पर है। सवाल उठ रहे हैं कि शेख हसीना को शरण देने वाला भारत इंटरपोल रेड नोटिस पर क्या विकल्प अपनाएगा? क्या शेख हसीना का प्रत्यर्पण इतना आसान होगा? आइए हम आपको इन सवालों का जवाब देते हुए पूरा मामला समझाने का काम करते हैं।
इंटरपोल रेड नोटिस पर क्या विकल्प अपनाएगा भारत?
खबरों की मानें तो अंतरिम सरकार पूर्व पीएम शेख हसीना के प्रत्यर्पण हेतु इंटरपोल का दरवाजा खटखटाएगी। ऐसी स्थिति में भारत के इंटरपोल रेड नोटिस आएगी। इसके तहत बांग्लादेश अब बतौर मुजरिम वारंट के आधार पर एक नया नोटिस जारी करने के लिए विदेश मंत्रालय के माध्यम से इंटरपोल से अनुरोध कर सकता है।
इस कदम पर भारत वास्तविक रूप से क्या विकल्प अपनाएगा इस पर अनुमान लगाना संभव नहीं है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि भारत बांग्लादेश के साथ अपने प्रत्यर्पण संधि का जिक्र कर सकता है जो राजनीतिक प्रकृति के मामलों में प्रत्यर्पण से इनकार करने की अनुमति देता है। यदि ऐसा हुआ तो शेख हसीना के प्रत्यर्पण से जुड़े मामले में पेंच फंस सकता है।
पूर्व पीएम Sheikh Hasina के प्रत्यर्पण में फंस सकता है पेंच!
दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच वर्ष 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई जो दोनों देशों को दोषियों को सौंपने के लिए बाध्य करती है। हालांकि, इसी संधि में राजनीतिक प्रकृति के मामलों में प्रत्यर्पण से इनकार का प्रावधान भी है जो शेख हसीना के माथे पर लाता नजर आ रहा है। पूर्व पीएम शेख हसीना से जुड़ा प्रकरण कानूनी रूप से ग्रे और राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में आ सकता है, जो भारत के समक्ष नई चुनौती पैदा कर सकता है।
ऐसी स्थिति में भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करेगा या नहीं, ये बड़ा चुनौतीपूर्ण फैसला होगा। भारत के समक्ष शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद और आवामी लीग के कई नेताओं का निवेदन भी आ चुका है कि प्रत्यर्पण खारिज कर अपने पुराने सहयोगी की मदद की जाए। ऐसी स्थिति में भारत के लिए कोई कदम बढ़ाना थोड़ा कठिन जरूर है।
