Indo Pak War 1971: अतीत के पन्ने पलटें तो एक ऐसा मुल्क बार-बार मुंह की खाता नजर आएगा, जो आज फिर एक बार अपने नापाक मंसूबों के साथ प्रकट तौर पर भारत के समक्ष खड़ा है। यहां बात पाकिस्तान के संदर्भ में हो रही है जिसे 1948 और 1965 में नहीं, बल्कि इंडो पाक वॉर 1971 और कारगिल जंग 1999 में करारी मात मिल चुकी है। किताबें पढ़ें या शेरशाह, गाजी अटैक, बॉर्डर, LOC जैसी फिल्में देखें, तो पाकिस्तान की करारी हार के सांकेतिक रूप से सभी परिचित हो सकते हैं।
इतनी हार झेलने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और Indo Pak War 1971 जैसी गलतियां दोहराए जा रहे हैं। भारत को उकसाना हो, या गीदड़भभकी देना, ये सब उसका हिस्सा हैं। ऐसे में भारत ने अबकी बार तय कर लिया है कि अगर भिड़ गए तो पड़ोसी मुल्क के मंसूबों पर ऐसा पानी फेरेंगे जिसे पीढ़ियां याद रखेंगी।
1948, 1965 और Indo Pak War 1971 के बाद भी नहीं सुधर रहा Pakistan!
अभी स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण है इसी कारण सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक में भारत-पाकिस्तान के अतीत पर चर्चा हो रही है। इसमें सबके प्रमुख है इंडो पाक वॉर 1971 जो गूगल पर ट्रेंड का विषय बना है। इस युद्ध में भारत ने Pakistan को ऐसा खदेड़ा था जिसे आज भी दुनिया रखती है। दरअसल, उस दशक में बंगाल और असम में शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी थी। तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने तब मुक्ति वाहिनी को समर्थन दिया था और भारतीय सेना ने Indo Pak War 1971 में बांग्लादेश को मुक्त कराया था। भारतीय सेना के जांबाज जवानों ने इस युद्ध में पाकिस्तान को ऐसा खदेड़ा था, कि 1948 और 1965 युद्ध की चर्चा धीमी पड़ गई थी। इस करारी हार के बाद पाकिस्तान की खूब किरकिरी हुई थी और वैश्विक स्तर पर मुल्क को फजीहत झेलनी पड़ी थी।
इंडो पाक वॉर 1971 में भारतीय सेना के समक्ष सरेंडर को मजबूर हुए थे पाकिस्तानी सैनिक
दुनिया से लोहा लेते हुए इंदिरा सरकार ने 70 के दशक में पाकिस्तानियों को घूटना टेकने पर मजबूर कर दिया था। जल से लेकर थल और वायु सेना के जांबाज जवानों ने अपनी कुशल रणनीति के बल पर पाकिस्तान के 93000 सैनिकों को सरेंडर करने के लिए मजबूर कर दिया था। Indo Pak War 1971 में हुए इस सरेंडर को इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है जिसकी चर्चा आज भी होती है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद कैसे बदला समीकरण?
वर्तमान स्थिति अतीत की याद दिलाती है। बॉर्डर पर बढ़ता तनाव हो या दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंध, ये दोनों बदलते समीकरण के पुख्ता सबूत हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद लगातार जारी बयानों का दौर और सेना की तैनाती बदले समीकरण की ओर ध्यान आकर्षित करती है। Indo Pak War 1971 और कारगिल जंग के बाद भारत एक बार फिर सख्ती से पाकिस्तान को निपटाने की तैयारी में है। मॉक ड्रिल कराने के आदेश, सेना की तैनाती और हाई लेवल बैठकों का दौर ये दर्शाते हैं कि पाकिस्तान की एक गलती उसे कितना भारी पड़ सकती है। समीकरण कुछ इस कदर बदला है कि भारत, इंडो पाक वॉर 1971 और कारगिल जंग के बाद पाकिस्तान को फिर करारी मात देने की जुगत में है। इंतजार बस सही समय का है कि ताकि आतंक के आकाओं को सबक सिखाया जा सके।