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US, इजरायल के खिलाफ सीना ताने खड़ा Iran क्या बन गया Middle East का सुपरपावर? खाड़ी देशों के लिए बदले समीकरण के मायने क्या?

Middle East Conflict: मध्य पूर्व में छिड़े आस्तित्व की जंग के बीच ईरान, अमेरिका और इजरायल के खिलाफ सीना ताने खड़ा है। यही वजह है कि उभरते सुपरपावर को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। बदले समीकरण ने खाड़ी देशों के लिए नया सवाल पैदा कर दिया है।

Middle East Conflict
Picture Credit: गूगल (अली खामेनेई - सांकेतिक तस्वीर)

Middle East Conflict: चाहें तेल अवीव में एक के बाद एक बमबारी की बात हो, या इजरायल के अन्य शहरों को निशाना बनाना हो। ईरान हर मोर्चे पर अमेरिका और इजरायल के खिलाफ सीना ताने खड़ा है। मिडिल ईस्ट कॉन्फ्लिक्ट के इस दौर में ईरानी सेना खाड़ी देशों के बीच सुपरपावर के रूप में उभरती नजर आ रही है। जिस अमेरिका के सामने Gulf Countries बोलने से कतराते हैं। ईरान ने ना सिर्फ उसका सामना किया है, बल्कि ये भी बताया है कि किसी महाशक्ति के निर्देश पर वे चलने वाले नही हैं।

ईरान की अपनी नीति है और उसी के हिसाब से दुनिया का सामना किया जाएगा। यही वजह है कि Middle East Conflict को रफ्तार मिली और आज भी जंग के हालात बने हुए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या Iran मिडिल ईस्ट का सुपरपावर बन गया है। खाड़ी देशों के लिए इस बदले समीकरण के मायने क्या हैं? तो आइए इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।

अमेरिका, इजरायल के खिलाफ सीना ताने खड़ा Iran क्या बन गया मिडिल ईस्ट का सुपरपावर?

ये बड़ा सवाल है जिसका पुख्ता रूप से अभी कुछ जवाब नहीं दिया जा सकता। लेकिन ये तय है कि ईरान ने अपने हौसले से अमेरिका और इजरायल का सामना सीना ताने किया है। अमेरिका की लाख धमकी और इजरायली सेना के हमलों के बीच अली खामेनेई तनिक भी टस से मस नहीं हुए और अपने प्रतिद्वंदियों को माकूल जवाब दिया। Middle East Conflict के इस दौर में ईरान ने न सिर्फ इजारल में तबाही मचाई है, बल्कि इराक से लेकर यूएई व अन्य कुछ देशों में अमेरिकी अधिकृत ठिकानों को नुकसान पहुंचाया है। मिडिल ईस्ट कॉन्फ्लिक्ट का ये दौर संकेत देता है कि ईरान खाड़ी देशों के बीच अपना अलग प्रभुत्व बरकरार रखने में कामयाब हो पाया है और उसकी तुलना एक उभरते सुपरपावर से हो रही है।

Middle East Conflict के कारण बदले समीकरण का खाड़ी देशों के लिए मायने क्या?

मध्य पूर्व के तमाम इस्लामिक राष्ट्र अमेरिका के खिलाफ खड़ा होने से कतराते हैं। बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, मिस्र, इराक, जॉर्डन, फिलिस्तीन, सीरिया या तुर्की समेत अन्य तमाम ऐसे देश हैं जो सीधे तौर पर अमेरिका से टकराना नहीं चाहते हैं। ऐसा होने के बावजूद Iran ने ना सिर्फ अमेरिका को जुबानी चेतावनी दी है, बल्कि कई अमेरिकी ठिकानों को निशाना भी बनाया है। Middle East Conflict ने पूरे समीकरण को बदल दिया है जो खाड़ी देशों के लिए बड़ा संकेत है। तमाम खाड़ी देश इस बदले समीकरण के बाद अब Iran को नजीर के रूप में देखेंगे। आसार जताए जा रहे हैं कि यदि आगे कभी अमेरिका की दखल मिडिल ईस्ट में बढ़ी, तो अन्य खाड़ी देश भी खुलकर खड़े नजर आ सकते हैं। इसके साथ ही अब तमाम मध्य पूर्व के देश ईरान से सीधे तौर पर टकराने की हिमाकत शायद ना करें।

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