Russia Taliban Relations: पड़ोसी मुल्क की धड़कने और तेज हो गई है। दरअसल, पाकिस्तान के लिए बलोचिस्तान पहले ही सिरदर्द बना हुआ था कि अब अफगानिस्तान भी खतरे की तरह पड़ोसियों के सिर मंडराने लगा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की एक सधी चाल ने पाकिस्तान के साथ-साथ अमेरिका को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। दरअसल, रूस तालिबान रिलेशन्स में व्यापक सुधार हुआ है। रूस ने इसी क्रम में अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को मान्यता दे दी है। रूस के इस कदम से Pakistan पूरी तरह से उलझ जाएगा और PM शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर के समक्ष रणनीतिक चुनौतियां तेज होंगी।
पाकिस्तान के साथ-साथ Russia Taliban Relations सुधरने की ये खबर अमेरिका के लिए भी तगड़े बंदोबस्त के समान है। रूसी सरकार द्वारा तालिबान को मान्यता देने के बाद अमेरिका के क्षेत्रीय प्रभाव को चुनौती मिलेगी। वहीं भारत इन सबसे इतर रूस के फैसले से जबरदस्त लाभ में है। आलम ये है कि तालिबान की वासपी से संकट में आए तमाम प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी मिल सकती है, जो लाभदायक होगा।
रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को दी मान्यता!
इसकी आधिकारिक पुष्टि अफगानी विदेश मंत्रालय की ओर से की गई है। तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इसे बड़ा कदम बताया है। उनका कहना है कि इससे अफगानिस्तान और रूस के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। यह कदम संबंधों के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल, Russia पहला ऐसा देश है जिसने तालिबानी सरकार को मान्यता दी है। Russia Taliban Relations को नई दिशा देने के बाद रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि “अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता देने से विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विकास को गति मिलेगी।” फिलहाल ये बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है और इसके दीर्घकालिक परिणाम को लेकर तरह-तरह की कयासबाजी व्यक्त की जा रही है।
अमेरिका के साथ पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बनेगी तालिबानी हुकूमत!
दरअसल, अमेरिकी यूरोप से इतर एशिया व अन्य महाद्वीपों में अपना प्रभुत्व काबिज करने के लिए बेताब नजर आता है। यही वजह है कि बात चाहें भारत-पाकिस्तान जंग की हो या इजरायल-ईरान के साथ रूस-यूक्रेन वॉर की। अमेरिकी दखल हर जगह देखने को मिलती है। ऐसे में अब तालिबानियों को रूसी सरकार से मान्यता मिलने के बाद अमेरिका के क्षेत्रीय प्रभाव को चुनौती मिलेगी। Russia Taliban Relations अमेरिका के लिए सिरदर्द बनेगा। अमेरिका लंबे समय तक तालिबानियों से लड़ते हुए अफगानिस्तान में अपना वक्त जाया कर चुका है। हालांकि, अंतत: 31 अगस्त 2021 को अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़ वापस लौट गए थे। ऐसी स्थिति में तालिबानी हुकूमत को मान्यता मिलना प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनौती है।
अमेरिका से इतर भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी रूस के इस फैसले से बुरी तरह प्रभावित होगा। अब रूस के सहारे तालिबान दुनिया की दूसरी ताकतों से सीधे संबंध बना सकता है। इससे पूर्व पाकिस्तान मध्यस्त के तौर पर काम करता था। वहीं तालिबान की आधिकारिक एंट्री पाकिस्तान के क्षेत्रीय प्रभाव को कमजोर करेगी जिसका खामिया पड़ोसी मुल्क को भुगतना पड़ेगा। Russia Taliban Relations अब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर विवाद गहरा सकता है जिससे पड़ोसी मुल्क में हमले बढ़ने के आसार हैं। बलोचिस्तान से लगातार मुंह की खा रहे पाकिस्तानियों के लिए रूसी सरकार का फैसला बड़ा सिरदर्द बनने जा रहा है।
प्रेसिडेंट पुतिन के फैसले से भारत की होगी मौज!
जब दुश्मन उलझ जाएंगे तो भारत की मौज वैसे ही हो जाएगी। प्रेसिडेंट पुतिन की सरकार ने तालिबानी हुकूमत को मान्यता देकर गेंद भारत के पाले में उछाल दिया है। इससे होगा ये कि पाकिस्तान अब क्षेत्रीय चुनौती का सामना कर खुद उलझा रहेगा। Russia Taliban Relations का असर दूसरी ओर चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को भी प्रभावित करेगा। वहीं तालिबानी हुकूमत को रूस का समर्थन पाकिस्तान को क्षेत्रीय रूप से अलग-थलग कर सकता है। अंदरखाने खबर ये भी है कि भारत भी जल्द ही तालिबानी सरकार को मान्यता दे सकता है।
दरअसल, इससे पूर्व भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने तालिबान नेताओं से विदेश में मुलाकात की थी। इस अनाधिकारिक मुलाकात को लेकर खूब सुर्खियां बनी थीं और भारत-अफगानिस्तान संबंध पटरी पर लौटने के आसार जताए गए। यही वजह है कि अब Russia Taliban Relations को नई दिशा मिलने के बाद भारत के लिए रास्ता खुल गया है। दावा किया जा रहा है कि जल्द ही भारत-अफगान के बीच मानवीय और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बढ़ाने का अवसर मिल सकता है जो देशहित में होगा।