Dalai Lama: एक नियुक्ति होनी है जिसमें चीन की दखल को लेकर कई तरह की कयासबाजी चल रही थी। हालांकि, अब आधिकारिक तौर पर साफ हो गया है कि चीन को झटका लगना तय है और नियुक्ति में उसकी कोई भूमिका नहीं होगी। यहां बात दलाई लामा के 15वें वारिस की नियुक्ति के संदर्भ में हो रही है। दरअसल, निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता Dalai Lama ने वारिस के चुनाव में चीन की किसी भी भूमिका को नकार दिया है। 14वें दलाई लामा की ओर से साफ किया गया है कि 15वें दलाई लामा की नियुक्ति में चीन की भूमिका नहीं होगी। ये प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता ने साफ किया है कि जल्द ही उत्तराधिकारी के नाम का ऐलान होगा जो कि 15वें दलाई लामा की उपाधि लेकर कुर्सी पर बैठेगा।
15वें Dalai Lama की नियुक्ति में चीन की भूमिका पर लगा विराम!
बगैर किसी लाग-लपेट के निर्वासित तिब्बती नेता दलाई लामा ने कहा है कि “दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। परंपरा के मुताबिक गादेन फोडरंग ट्रस्ट अकेले ही 15वें पुनर्जन्म की मान्यता पर फैसला लेगा। इस मामले में किसी और को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।” Dalai Lama का ये संदेश साफ तौर पर चीन के लिए झटका है जो तिब्बती आध्यात्मिक नेता का वारिस चुनने में अपनी भूमिका के लिए साफ तौर पर बेचैन था। 14वें दलाई लामा के ऐलान से साफ हो गया है कि चीन को बड़ा बड़ा झटका मिल गया है। दावा किया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों या सप्ताह भर में उत्तराधिकारी घोषित करने की निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार घोषणा हो सकती है।
एक संदेश से चीन को दिया करारा जवाब!
तिब्बती परंपरा की बात जब भी होती है तो चीन की अनावश्यक दखल सामने आ जाती है। China अपने प्रभुत्व के बल पर तिब्बती धार्मिक परंपराओं को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश करता नजर आता है। हालांकि, Dalai Lama के वारिस को लेकर छिड़ी चर्चा के बाद तिब्बती आध्यात्मिक नेता का बयान शी जिनपिंग के लिए करारा जवाब है। 14वें दलाई लामा ने बीजिंग को साफ तौर पर संदेश देने की कोशिश की है कि तिब्बती परंपरा किसी की प्रभुत्व के इशारे पर नहीं चलेगी। सदियों से जो होता आया है वो आगे भी होता रहेगा। ये China के लिए बड़ा झटका है।