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25 साल की उम्र में अमेरिका से Ph.D करने के बाद Sadhvi बनी Bhagawati Saraswati की अनोखी कहानी

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Sadhvi Story
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Sadhvi Bhagawati Saraswati: अक्सर आपने अमेरिका में लोगों को पढ़ाई या नौकरी करने के लिए जाते हुए देखा होगा। अमेरिका में जाकर पढ़ना और फिर वहीं पर अपनी नई जिंदगी बसाना हर किसी का सपना होता है। लेकिन आज इस आर्टिकल में आपको अलग तरह की कहानी जानने को मिलेगी जिसके बाद आप लोग काफी हैरान हो जाओगे । इस कहानी में 25 साल की एक लड़की ने अमेरिका से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करके आध्यात्म की राह पकड़ ली है जिसे देखकर काफी लोग बहुत चकित हो गए हैं।

साध्वी की कहानी

भगवती सरस्वती साध्वी ने 1996 में अमेरिका के स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पीचएडी की पढ़ाई पूरी कर रही थी। बाहर विदेश में रहने के बावजूद वह शुरूआत से ही केवल शाकाहारी भोजन का सेवन करती थी। उन्होंने भारत के बारे में ना जानें कितनी बार सुना था कि आखिर में उन्हें भारत के दर्शन करने के लिए आना ही पड़ा था। अमेरिका जैसे बड़े शहर में रहने के बावजूद भी वह काफी सीधे और चंचल स्वाभाव की थी। उनके थोड़े अलग व्यवहार और शाकाहारी होने के चलते उनके दोस्त वैगरह उनका काफी बार मजाक भी उड़ाते थे और उन्हें भारत जाने के लिए भी कहते थे।

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लोनली प्लैंनेट नाम की बुक ने बदली जिंदगी

पहले के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल कम किया जाता था जिस वजह से लोगों को कोई भी नई चीज या जगह को ढूंढने में काफी मेहनत करनी पड़ती थी। ऐसे में साध्वी ने लोनली प्लैंनेट नाम की एक किताब खरीदी जिसमें उन्हें भारत के बारे में काफी सारी नई चीजों के बारे में जानकारी मिली। उस किताब को पढ़ने के दौरान साध्वी ने ऋषिकेश नाम की जगह के बारे में पड़ा और उन्हें यह जगह केवल पढ़ने से इतनी पसंद आई कि फिर वह सीधा ऋषिकेश ही पहुंच गई । यहां पर आने के बाद उन्होंने अपना रहने का इंतजाम एक होटल में किया था , लेकिन जब वह गंगा नदी के किनारे आती और वहां पर लोगों को स्नान करते हुए देखती , वहां पर शांति और पॉजिविटी को देखकर वह इतना गुम हो गई कि उन्होंने भी अगले दिन से गंगा नदी के जल से ही स्नान करना शुरू कर दिया था। गंगा नदी के किनारे हो रही आरती , भजन और लोगों का भक्ति के प्रति विश्वास देख कर वह काफी प्रभावित हुई थी।

गुरूजी स्वामी चिंदानंद मुनि से हुई मुलाकात

ऋषिकेश में रहने के दौरान उन्हें वहां एकआश्रम दिखा जहां उन्होंने अपने रहने का मन तो बना लिया था , लेकिन वहां पर रहने की अनुमति वहां के गुरूजी के बिना नहीं मिलती थी। वहां पर रह रहे लोगों ने बताया कि अभी गुरूजी कहीं बाहर गए है , जब वह वापिस आएंगे , तो ही उन्हें यहां पर रहने के लिए कमरा मिल सकता है। इस दौरान वह काफी बार गुरू जी के आने के बारे में पूछती भी थी जब गुरू जी आश्रम में वापस पहुंचे , तो वह साध्वी से मिले और उन्हें रहने के लिए कमरा भी दे दिया। इसके बाद साध्वी को अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने क लिए वापस अमेरिका आना पड़ा और जब उन्होंने अमेरिका आकर अपने पेरेंट्स के साथ हमेशा भारत के किसी आश्रम में रहने की बात बताई को , वह लोग काफी गुस्सा हुए , लेकिन बाद में गुरूजी से मिलने के बाद उन्होंने साध्वी को भारत में रहने की अनुमति दे दी थी।    

हॉलीवुड टू द हिमालय

आखिर में जब सरस्वती साध्वी हमेशा के लिए भारत में आई , तो उन्होंने यहां काफी सारे भलाई समाज संगठनों के साथ जुड़कर लोगों के लिए काफी सारे काम किए। वह अब पूरी तरह से केवल हिंदी भाषा का ही इस्तेमाल करती है और लोगों के द्वारा पूछने पर वह कहती है कि मैंने ये सब कुछ यहां पर रहकर लोगों के बीच में ही सिखा है। अभी हाल ही में, उन्होंने अपनी असल जिंदगी के ऊपर एक बुक लिखी है जिसका नाम है हॉलीवुड टू द हिमालय । इस किताब को लोगों के द्वारा काफी प्यार मिल रहा है और लोग इनकी इस जरनी की काफी प्रशंसा भी कर रहे है।

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