Wednesday, February 12, 2025
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Indian Banks: NPA में सुधार से लेकर रिटेल लोन में बढ़ते दबाव तक, भारतीय बैंकों के अप्रत्यक्ष जोखिम का रिपोर्ट में हुआ खुलासा; जानें पूरी डिटेल

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Indian Banks: Fitch रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, Indian Banks के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) अनुपात में सुधार जारी रहेगा। हालांकि रिटेल लोन में बढ़ता दबाव चिंता का विषय है, लेकिन मजबूत रिकवरी, आर्थिक विकास और प्रभावी वसूली की वजह से NPA का स्तर घटने की उम्मीद है। आइए जानते हैं भारतीय बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े इन प्रमुख रुझानों के बारे में।

2025 तक NPA में गिरावट की उम्मीद

Fitch की रिपोर्ट के अनुसार, Indian Banks का ग्रॉस NPA अनुपात मार्च 2025 तक 0.4% घटकर 2.4% हो सकता है। इसके बाद अगले वित्तीय वर्ष में इसमें 0.2% की और कमी आने की संभावना है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) में यह अनुपात 2.6% रहेगा, जो FY26 में बढ़कर 3% तक पहुंच सकता है। यह सुधार मजबूत रिकवरी, आर्थिक स्थिरता और नियमित वसूली के कारण संभव हो पाया है। हालांकि, रिटेल लोन, विशेषकर असुरक्षित कर्ज (unsecured loans) में बढ़ते दबाव को अभी भी चुनौती माना जा रहा है।

रिटेल लोन में बढ़ता दबाव

रिपोर्ट के अनुसार, असुरक्षित लोन जैसे 51000 से कम के पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड कर्ज, लोन तनाव को बढ़ा रहे हैं। ये लोन मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) और फिनटेक कंपनियों द्वारा निम्न-आय वाले उधारकर्ताओं को दिए जा रहे हैं। FY25 की पहली छमाही में नए खराब रिटेल लोन में इनका हिस्सा लगभग 52% रहा। FY21 से FY24 के बीच पर्सनल लोन में 22% और क्रेडिट कार्ड कर्ज में 25% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई। हालांकि, FY25 में यह वृद्धि सालाना आधार पर घटकर क्रमश 11% और 18% रह गई, जिसका कारण असुरक्षित लोन पर बढ़ा हुआ जोखिम भार है। वहीं Indian Banks में अप्रत्यक्ष जोखिम का दबाव कम हो रहा है।

Indian Banks के लिए अप्रत्यक्ष जोखिम

बड़े Indian Banks का असुरक्षित लोन में सीधा जोखिम कम है, लेकिन NBFCs और फिनटेक कंपनियों को फंडिंग के जरिए अप्रत्यक्ष जोखिम बना हुआ है। ये कंपनियां मुख्य रूप से निम्न-आय वाले उधारकर्ताओं या बिना आय विवरण वाले लोगों को लोन देती हैं। ऐसे उधारकर्ता भारत की वित्तीय प्रणाली में कुल उपभोक्ता क्रेडिट का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा रखते हैं। जून 2024 तक भारत का घरेलू ऋण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 42.9% है, जो एशिया-पैसिफिक के अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कम है। फिर भी, असुरक्षित रिटेल लोन में बढ़ता तनाव सुधार की राह में चुनौती बना हुआ है।

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