Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: आज राजनैतिक मंचों से जब ‘हिंदू हृदय सम्राट’ शब्द गूंजता है, तो ये हमें सदियों पहले जन्में वीर शिवाजी महाराज की याद दिलाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मुगलों से लोहा लेने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज को हिंदू हृदय सम्राट की उपाधि दी गई थी। आज छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के अवसर पर हम आपको उनकी वीरता की गाथा बताएंगे। इसके साथ ही ये भी बताएंगे कि शिवाजी महाराज का स्थान मराठाओं के बीच क्यों खास है। Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti के अवसर पर वीर शिवाजी को नमन करने के साथ इतिहास के पन्ने पलाटे जाएंगे और उनकी वीरता के किस्से आपसे सांझा किया जाएगा।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti वीर शिवाजी को कैसे मिली ‘हिंदू हृदय सम्राट’ की उपाधि?
अंधकार के दौर में होने वाला उजाला जगत में अपन रोशनी बिखेरता है। 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी किले में माता जीजाबाई के कोख से जन्मे वीर Shivaji Maharaj का नाम उन राजाओं में शुमार है जिन्होंने अल्पायु में ही मुगलों से लोहा लिया। शिवाजी, मुगलों पर इस कदर कहर बनकर बरसे कि मुगल अक्रांता उनसे थर-थर कांपते थे। 1642 में वीर शिवाजी ने रायरेश्वर मंदिर में स्वराज्य की स्थापना करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपनी सेना के साथ तोरण के दुर्ग पर विजय पताका लहराया। ये कारवां यहीं नही रुका और 1656 आते-आते जावली, रायरी सहित आधा दर्जन किलों पर शिवाजी का कब्जा हो चुका था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी चतुरता से अफजल खां को भी मौत के घाट उतार दिया। Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti पर आपको ये जानकर हैरानी होगी कि वीर शिवाजी का नाम भारत से इतर यूरोप में भी गूंजने लगा था।
शिवाजी महाराज ने युद्धपोत के साथ अपनी नौसेना को मजबूत किया। थल सेना में भी लड़ाकों की संख्या बढ़ाई और हिंदुत्व का विजय पताका लहराने निकल पड़े। उन्होंने एक के बाद एक कई मुगल अक्रांताओं को धूल चटाई। अंतत: 3 अप्रैल 1680 को 50 वर्ष की अवस्था में शिवाजी वीरगति को प्राप्त हुए। हिंदुत्व के प्रति शिवाजी महाराज के समर्पण और प्रेम भाव को देखते हुए उन्हें ‘हिंदु हृदय सम्राट’ की उपाधि दी गई।
मराठाओं के बीच क्यों खास है छत्रपति शिवाजी महाराज का स्थान?
हिंदुत्व के लिए समर्पित भाव रखने वालों के बीच आज भी शिवाजी महाराज एक विशेष स्थान रखते हैं। विशेष तौर पर मराठाओं के बीच। चूकि, Chhatrapati Shivaji Maharaj स्वयं भी मराठा थे। अपने शासन काल के दौरान उन्होंने मराठाओं का प्रतिनिधित्व किया और उनकी रक्षा के लिए अपने प्राण की बाजी लगाई। मराठाओं से इतर देश का मान-सम्मान भी शिवाजी महाराज के लिए बेहद खास था। यही वजह है कि उन्होंने अल्पायु में ही मुगलों से लोहा ले लिया और उन्होंने खदेड़ने में जुट गए। वीर मराठा के तौर पर ख्याति प्राप्त कर चुके शिवाजी महाराज इन्हीं कारणों से मराठाओं और देश के समस्त हिंदू जनमानस के बीच खास स्थान प्राप्त करते हैं।