Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में रविवार को भी जहरीले स्मॉग की चादर देखने को मिली। प्रदूषण की वजह से कोहरा इतना ज्यादा रहा कि सड़क पर वाहन चालकों को गाड़ी चलाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा। पॉल्यूशन का स्तर आज भी गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया। सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में सुबह 6 बजे के करीब एक्यूआई यानी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 462 रिकॉर्ड किया गया। वहीं, दिल्ली के कई इलाकों में एक्यूआई 500 के करीब रहा। इस वजह से लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
Delhi Air Pollution से लागू हुआ ग्रैप-4
सीपीसीबी के मुताबिक, बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली का एक्यूआई 400 के ऊपर रहा। ऐसे में हवा की खराब गुणवत्ता का स्तर शनिवार के बाद रविवार को भी देखने को मिलेगा। हालांकि, सोमवार से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को थोड़ी साफ मिलने की उम्मीद है। शुक्रवार से ही दिल्ली और आसपास के इलाकों में हवा की गति धीमी है, इसलिए प्रदूषण हवा में ही रुक गया है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से सीएक्यूएम यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रैप-4 के तहत सभी एक्शन लागू कर दिए हैं। इस वजह से अब दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्रों में कुछ चीजों पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई है।
दिल्ली एयर प्रदूषण के खराब स्तर की वजह से इन चीजों पर रहेगी पाबंदी
सीएक्यूएम ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप-4 के तहत कई तरह की पाबंदियों को लागू किया है।
- इसके तहत दिल्ली में सिर्फ जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रकों को ही प्रवेश दिया जाएगा। इसके अलावा, सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-6 फ्यूल एमिशन पर चलने वाले ट्रकों को भी छूट रहेगी। बाकी पर रोक रहेगी।
- दिल्ली में पंजीकृत बीएस-4 या पुराने मालवाहकों पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा, सिर्फ वाहनों को छूट मिलेगी, जो किसी जरूरी सर्विस में लगे हुए हैं।
- गैर-जरूरी निर्माण पर रोक रहेगी। साथ ही सावर्जनिक सेक्टर में होने वाले कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन पर भी प्रतिबंध रहेगा।
- इसके अलावा, एनसीआर के तहत आने वाले सभी क्षेत्रों में क्लास 6 से 9वीं और 11वीं के छात्रों के लिए फिजिकल क्लास को ऑनलाइन मोड में शिफ्ट कर सकती हैं।
- वहीं, नगर निगम, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टरों में काम करने वाले लगभग 50 फीसदी कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही अन्य कर्मचारियों की टाइमिंग में बदलाव किया जा सकता है, ताकि पीक आवर्स के दौरान सड़कों पर गाड़ियों की संख्या में कमी आए।
ग्रैप-4 के तहत राज्य सरकारें कई अन्य इमरजेंसी उपायों पर भी विचार कर सकती हैं, ताकि प्रदूषण की स्थिति में सुधार किया जाए।
