मंगलवार, नवम्बर 18, 2025
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Red Fort Blast: क्या दिल्ली में उमर ने किया शू-बम से धमाका? या फिर स्टिकी बम से लाल किला दहलाने की साजिश! जानकर दिमाग हिल जाएगा

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Red Fort Blast: दिल्ली लाल किला ब्लास्ट मामले की गुत्थी अभी भी अनसुलझी है। राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम 6:52 बजे सुभाष मार्ग ट्रैफिक सिग्नल पर एक हुंडई i20 कार में हुए बम धमाके की जांच के दौरान कई बड़ी जानकारी अब तक समाने आ चुकी है। जांच एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े फिदायीन हमलावर डॉक्टर उमर ने शायद ‘शू-बम’ का इस्तेमाल कर ब्लास्ट को अंजाम दिया होगा। दिल्ली ब्लास्ट में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 20 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं। इसके अलावा रेड फोर्ट ब्लास्ट में ‘स्टिकी बम’ के इस्तेमाल का भी शक है। आइए जानते हैं कि दिल्ली ब्लास्ट में ‘शू-बम’ और ‘स्टिकी बम’ के बीच संबंध का शक क्यों गहरा रहा है?

Red Fort Blast: क्या दिल्ली में उमर ने किया शू-बम से धमाका?

सूत्रों के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट वाली जगह से बरामद सबूतों और अन्य सामानों में एक जूते पर जाँचकर्ताओं का ध्यान केंद्रित हो गया है। उमर की आई-20 कार में मिले जूते में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी के अंश पाए गए। जांच एंजेंसियों को यह जूता कार के दाहिने अगले टायर के पास ड्राइवर की सीट के नीचे मिला। जांच टीम इसे शुरुआती सुराग के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं और आगे की कार्रवाई की तैयारी करने में जुटी हैं। सूत्रों का कहना है कि एजेंसियों को संदेह है कि रेड फोर्ड ब्लास्ट में आतंकवादी ने ‘शू-बम’ का इस्तेमाल किया होगा, जिसकी जांच प्रक्रिया अभी जारी है।

हालाँकि, दिल्ली के लाल किला के पास हुए कार विस्फोट मामले के कई रहस्य अभी भी अनसुलझे हैं, लेकिन अब तक के निष्कर्ष वाकई चौंकाने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि जाँच एजेंसियों को संदेह है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आत्मघाती हमलावर डॉक्टर उमर ने विस्फोट को ट्रिगर करने के लिए अपने जूते में एक तंत्र छिपा रखा था। उसने ‘शू-बम’ को ब्लास्ट करने को लेकर चिंगारी पैदा करने के लिए जूते में छिपा मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया होगा, जिससे विस्फोटक तुरंत फटा होगा।

सूत्रों के मुताबिक जाँच दल को आशंका है कि दिल्ली रेड फोर्ट ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट और अन्य रसायनों के साथ-साथ टीएपी ने विस्फोट को और भी घातक बना दिया। टीएटीपी एक बेहद खतरनाक और संवेदनशील विस्फोटक माना जाता है, जिसका इस्तेमाल अक्सर आतंकवादी करता रहा है। यह हल्के झटके, घर्षण या थोड़ी सी गर्मी से भी फट सकता है। इसी वजह से ‘शू-बम’ को आतंकवादी जगत में “शैतानों की माँ” के नाम से पुकारा जाता है।

लाल किला ब्लास्ट : आतंकवादियों ने स्टिकी बम से दिल्ली को दहलाने की साजिश रची थी?

जाँच एजेंसियों के करीबी सूत्रों के अनुसार, 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुए आतंकवादी हमले में ‘स्टिकी बम’ के इस्तेमाल का संदेह है। जाँच एजेंसियाँ चलती गाड़ी में हुए विस्फोट को इसका प्राथमिक कारण मान रही हैं। सवाल यह है कि ‘स्टिकी बम’ क्या है? इस पर गहराई से चर्चा करने से पहले, यह ध्यान देने योग्य है कि आतंकवादी संगठन पहले भी दिल्ली स्थित इज़राइली दूतावास को स्टिकी बम से निशाना बना चुका है।

मालूम हो कि 13 फ़रवरी, 2012 को एक आतंकवादी संगठन ने भारत में तैनात एक इज़राइली राजनयिक की कार को निशाना बनाया था। राजनयिक की पत्नी, ताल येहोशुआ कोरेन, अपने बच्चों को स्कूल से लेने के लिए कार से जा रही थीं। पीछे से आए एक मोटरसाइकिल सवार ने इज़राइली राजनयिक की कार में एक चुंबकीय विस्फोटक उपकरण (स्टिकी बम) लगा दिया। औरंगज़ेब रोड पर एक ट्रैफ़िक लाइट पर जब कार रुकी, तो उसमें से अचानक आग की लपटें निकलने लगीं। कोरेन बाल-बाल बच गईं। दिल्ली पुलिस अभी तक इस हमले की गुत्थी नहीं सुलझा पाई है। जाँच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, दूतावास की टोयोटा इनोवा कार में चुंबक लगा हुआ बम लगाया गया था। जिसके कारण कुछ ही सेकंड बाद उसमें विस्फोट हो गया।

दिल्ली ब्लास्ट में स्टिकी बम का इस्तेमाल को लेकर गहराया शक!

रिपोर्टों के अनुसार, स्टिकी बम आकार में छोटे होते हैं, लेकिन इनका विस्फोट काफी घातक होता है। ये बेहद सस्ते होते हैं और हमलावरों द्वारा आसानी से इसे बनाया जा सकता है। ये ऐसे बम होते हैं जो वाहनों या अन्य वस्तुओं पर फेंकने पर उनसे चिपक जाता है। इन्हें रिमोट कंट्रोल से या टाइमर लगाकर विस्फोट किया जाता है। इस बम को दुनिया भर में “चुंबकीय बम” के रूप में भी जाना जाता है। स्टिकी बम में आमतौर पर 50-10 मिनट का टाइमर सेट होता है। कहा जाता है कि स्टिकी बम सिर्फ़ दो हज़ार रुपये में बनाए जा सकता है। इसके इस्तेमाल में आसानी के कारण, 2021 में अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी स्टिकी बम का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता था।

बताया जाता है कि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवादी ट्रैफिक सिग्नल पर या धार्मिक स्थलों के बाहर खड़े वाहनों पर स्टिकी बम लगाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल करता था। जिसके बाद मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके दूर से ही आसानी से आतंकवादी विस्फोटक हमले को अंजाम देता था। इसके अलावा, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्टिकी बमों पर काफ़ी चर्चा हुई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान में कई आतंकवादी हमले स्टिकी बमों का इस्तेमाल करके किए जा चुके हैं। दिल्ली ब्लास्ट के जाँचकर्ताओं को संदेह है कि आतंकवादियों ने विस्फोट के लिए स्टिकी बम का इस्तेमाल किया होगा। पूरे मामले की गहन जाँच चल रही है। जब तक अंतिम जाँच रिपोर्ट नहीं आ जाती, यह सवाल सबके मन में बना रहेगा।

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Rupesh Ranjan
Rupesh Ranjanhttp://www.dnpindiahindi.in
Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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