Gyanesh Kumar: ज्ञानेश कुमार नए CEC बनने के साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गए हैं। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संविधान की दुहाई देकर Gyanesh Kumar की नियुक्ति पर गंभीर सवाल खड़ा करने के काम किया है। इसके अलावा कुछ अन्य नेता भी हैं जो अपने हिस्से का तर्क प्रस्तुत कर ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। सत्ता पक्ष के नेता भी इस दौड़ में पीछे नही हैं और आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में विपक्ष को जवाब देने का काम कर रहे हैं। तो आइए हम आपको ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर छिड़ी राजनीतिक बयानबाजी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
Gyanesh Kumar बने नए CEC तो छलका Congress का दर्द!
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति के संदर्भ में एक लंबा-चौड़ा पोस्ट जारी किया है। Congress नेता का कहना है कि “सरकार ने आधी रात को जल्दबाजी में नए केंद्रीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। यह हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है, और जिसे सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में दोहराया है। चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता के लिए, CEC को निष्पक्ष हितधारक होना चाहिए। सरकार को सीईसी का चयन करने से पहले 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक इंतजार करना चाहिए था।”
केसी वेणुगोपाल आगे कहते हैं कि “जल्दबाजी में बैठक और नए EC की नियुक्ति करने के उनके निर्णय से पता चलता है कि वे सुप्रीम कोर्ट की जांच को दरकिनार करने और स्पष्ट आदेश आने से पहले नियुक्ति करने के इच्छुक हैं। इस तरह का व्यवहार उन संदेहों की पुष्टि करता है जो कई लोगों ने व्यक्त किए हैं कि कैसे शासन चुनावी प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है और नियमों को मोड़ रहा है। ऐसी घटनाओं के कारण सरकार और उसके द्वारा नियुक्त सीईसी गहरे संदेह के अधीन हैं। जैसा कि एलओपी ने सही कहा, इस फैसले को तब तक अलग रखा जाना चाहिए था जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर संविधान के अनुरूप फैसला नहीं कर देता।”
राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने Gyanesh Kumar की नियुक्ति पर कहा कि “इस मामले के लिए चयन समिति के गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया गया है। ऐसे में नियुक्ति के लिए ऐसी क्या जल्दी थी? लोकतंत्र में चुनाव न सिर्फ निष्पक्ष होने चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए। यह सुप्रीम कोर्ट और संविधान की मूल भावना की अवमानना है।”
ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर छिड़ी चर्चा के बीच सत्ता पक्ष का करारा जवाब
सत्ता पक्ष की ओर से बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने विपक्ष को नसीहत दी है। उनका कहना है कि “CEC की नियुक्ति एक संवैधानिक व्यवस्था है जहां विपक्षी नेता और सत्ता में बैठे नेता चर्चा करते हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त का चुनाव करते हैं। नियुक्ति काफी विचार-विमर्श के बाद की जाती है।”
बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि “इस संबंध में सरकार की एक आधिकारिक प्रक्रिया है। CEC की नियुक्ति चर्चा के बाद की जाती है। इसलिए इसमें मतभेद और असहमति का कोई मतलब नहीं है।”