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Kuldeep Singh Sengar: उन्नाव रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, भारी विवाद के बीच हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक; समझे इसके मायने

Kuldeep Singh Sengar: उन्नाव रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

Kuldeep Singh Sengar
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

Kuldeep Singh Sengar: उन्नाव रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को इस मामले में जमानत दे दी थी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को रिहा नहीं किया जाएगा। मालूम हो कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही सेंगर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। कई जगहों पर फैसले के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी किया गया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। चलिए आपको बताते है इससे जुड़ी सभी अहम जानकारी।

Kuldeep Singh Sengar के जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 के उन्नाव बलात्कार मामले में दी गई आजीवन कारावास की सजा निलंबित कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सेंगर को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें सेंगर के एक अन्य मामले में जेल में होने का हवाला दिया गया है।

पीड़ित पक्ष के वकील ने दी अहम जानकारी

पीड़ित पक्ष के वकील हेमंत कुमार मौर्य ने कहा कि “मैं आज सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। पीड़ित पक्ष भी अपनी कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता है। सर्वोच्च न्यायालय ने निचली अदालतों को कड़ा आदेश जारी करते हुए कहा है कि आरोपी को किसी भी हालत में जेल से रिहा नहीं किया जाएगा और राहत देने वाले आदेश पर रोक लगा दी गई है।

विपक्ष को प्रतिवाद दाखिल करने के लिए समय दिया गया है और तब तक उसे किसी भी परिस्थिति में जेल से रिहा नहीं किया जाएगा। यह सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है और उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी गई है।”

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महिला एक्टिविस्ट ने जताई खुशी

महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा कि, “सत्यमेव जयते। हम इस आदेश की उम्मीद कर रहे थे। इसके लिए हम सर्वोच्च न्यायालय और सभी मीडिया को धन्यवाद देते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है।

यह न्याय का मूल आधार था। इससे देश की बेटियों को यह संदेश मिलेगा कि अगर उनके साथ अन्याय होता है, तो उन्हें न्याय मिलेगा।”

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