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SIR: एनडीए सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, अवैध रोहिंग्या आप्रवासियों पर मुखरता से उठ रही आवाज! सवालों में विपक्ष का रुख?

देश के विभिन्न राज्यों में जारी SIR के बीच एनडीए सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अवैध रोहिग्या आप्रवासियों के खिलाफ मुखरता से आवाज उठा रही है। इस बीच विपक्ष का रुख सवालों में है।

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Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

SIR: देश में अवैध रूस से घुसपैठ करने वालों के खिलाफ मुखरता से आवाज उठ रही है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान ही एनडीए सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक रोहिंग्या घुसपैठियों पर सख्त है। आलम ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता तक को फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकर्ताओं से तीखा सवाल पूछते हुए कहा है कि अगर कोई घुसपैठिया आता है तो क्या हम उनके लिए लाल कार्पेट बिछाकर स्वागत करें?

कोर्ट में केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस प्रकरण में अपना पक्ष रखते हुए याचिकर्ता की कुछ मांग को चिंताजनक बताया है जिसमें कथित तौर पर निकाले गए लोगों को वापस लाने की मांग की गई है। एसआईआर के बीच रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ उठ रही आवाज के बीच विपक्ष का रुख सवालों में है। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए पूरे प्रकरण के बारे में बताते हैं।

देश में जारी SIR के बीच अवैध आप्रवासियों के खिलाफ उठी आवाज!

संसद का परिसर हो या सुप्रीम कोर्ट का, देश में चहुंओर अवैध आप्रवासियों के खिलाफ उठ रही है। ताजा मामला सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या घुसपैठियों के संदर्भ में हुए एक याचिका पर सुनवाई से जुड़ा है। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए रोहिंग्या के खिलाफ आवाज उठाई है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि “अगर कोई घुसपैठी है तो क्या हमें उसे यहां रखने का दायित्व है? अगर कोई घुसपैठिया आता है तो क्या हम उनके लिए लाल कार्पेट बिछाकर स्वागत करें? हमारे देश में भी गरीब लोग हैं, नागरिक हैं। क्या वे सुविधाओं और लाभों के हकदार नहीं?”

दरअसल, याचिकाकर्ता ने रोहिंग्या घुसपैठिये को हिरासत से गायब किया जाने और उनका डिपोर्टेशन तय प्रक्रिया के अनुसार करने की मांग से जुड़ी याचिका लगाई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट का तल्ख रुख देखने को मिला और याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार झेलनी पड़ी। कोर्ट की बेंच ने कहा कि “रोहिंग्या के पास भारत में रहने का कानूनी अधिकार नहीं है और वे घुसपैठिए हैं। अगर कोई घुसपैठिया आता है तो उन्हें वापस भेजने में समस्या क्या है?” केन्द्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी याचिका पर चिंता व्यक्त करते हुए सख्ती के साथ अपना पक्ष रखा।

बंगाल में अवैध घुसपैठियों की मौजूदगी से संकट!

बांग्लादेश से सीमा साझा करने वाले बंगाल राज्य में अवैध घुसपैठियों का होना देश के लिए बड़ा संकट है। एसआईआर के बीच तमाम ऐसे प्रकरण सामने आए जहां अधिकारियों का सामना बांग्लादेशी घुसपैठियों से हुआ। दीनाजपुर से मुर्शिदाबाद तक घुसपैठियों के कुंडली मारकर बैठने का आरोप है जिसको लेकर बीजेपी आक्रामक रुख अपनाती नजर आ चुकी है। केन्द्र की ओर से पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा समेत तमाम नेता बंगाल में घुसपैठियों को मिल रहे सह का जिक्र करते हुए हमला बोल चुके हैं। इसे सूबे के लिए बड़ा संकट माना जा रहा है।

अवैध घुसपैठ को लेकर सवालों में विपक्ष का रुख?

एक तबका है जो विपक्ष के रुख को लेकर कई तरह के गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। अवैध घुसपैठ पर जहां एनडीए सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सख्त है, वहां विपक्ष की चुप्पी सरकार समर्थकों को नागवार गुजर रही है। बंगाल से झारखंड, असम तक में घुसपैठ का जिक्र कर एनडीए सरकार मुखरता से आवाज उठाती है। वहीं विपक्ष की भूमिका तलाशने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। यही वजह है कि सरकार समर्थक या अन्य कई बुद्धिजीवी वर्ग इसको लेकर विपक्ष पर हमलावर हैं।

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