Pope Francis: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नए पोप के चुनावी प्रक्रिया को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसका कारण है पोप फ्रांसिस का दुखद निधन। निमोनिया और किडनी फेल जैसी समस्याओं से जूझ रहे पोप फ्रांसिस ने 88 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली है। Pope Francis के निधन के बाद जहां एक ओर दुनिया में शोक की लहर दौड़ पड़ी है, तो वहीं दूसरी ओर नए पोप के चुनाव प्रक्रिया को लेकर सुगबुगाहट तेज हुई है। ऐसे में आइए हम आपको पोप फ्रांसिस के निधन की खबर के साथ उत्तराधिकारी के लिए होने वाले चुनावी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।
88 वर्ष की उम्र में जिंदगी की जंग हार गए Pope Francis!
ईसाइ समुदाय के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। इसकी आधिकारिक घोषणा कार्डिनल केविन फेरेल ने की है। पोप के निधन के घोषणा करते हुए फेरेल ने बताया कि रोम के स्थानीय समय सुबह 7:35 बजे पोप फ़्रांसिस ने आख़िरी सांस ली। पोप फ्रांसिस ने हम सबको हमेशा साहस, प्यार और हाशिए के लोगों के पक्ष में खड़ा रहने के लिए प्रेरित किया. है। वे लॉर्ड जीसस के सच्चे शिष्य थे।” Pope Francis के निधन पर पूरे दुनिया में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। यूरोपीय संघ के नेताओं के अलावा पीएम मोदी ने भी पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक जताया है। PM Modi समेत तमाम अन्य नेताओं का कहना है कि उनके निधन से एक ऐसा रिक्त स्थान बना है जिसकी पूर्ति शायद ही कभी हो सकेगी।
नए पोप के चुनावी प्रक्रिया को लेकर तेज हुई सुगबुगाहट
अब नया पोप कौन होगा और उसे कैसे चुना जाएगा, इसको लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। ऐसे में बता दें कि पोप के चुनाव हेतु पहले कार्डिनल्स की सभा होती है। 80 वर्ष से कम उम्र के सभी कार्डिनल्स वेटिकन सिटी में इकट्ठा होंगे। चुनाव प्रक्रिया को गति देते हुए गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है। मतदाता सिस्टिन चैपल में प्रवेश कर गोपनीयता की शपथ लेते हैं। तत्पश्चात सभी कार्डिनल अपने पसंदीदा पोप के नाम को एक पेपर बैलट पर लिखते हैं। इस तरह से वोटिंग की प्रक्रिया पूर्ण होती। सनद रहे कि नया पोप बनने के लिए उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करना होता है। इके बाद बैलट जलाए जाते हैं। काला धुआं का आशय है कि निर्णय नहीं हुआ है, जबकि सफेद धुआं नया पोप चुन लिए जाने का संकेत है। इसके बाद नए पोप के नाम की घोषणा हो जाती है।