Bhagwant Mann: सूबे में एसडीआरएफ को लेकर नए सिरे से विवाद गहराता नजर आ रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने भगवंत मान सरकार का पक्ष रखते हुए फिर एक बार एसडीआरएफ शर्तों में बदलाव के लिए आवाज उठाई है। पंजाब सरकार का पक्ष रख रहे नील गर्ग ने कहा है कि केन्द्र एसडीआरएफ की शर्तों में बदलाव करे, ताकि पंजाब के बाढ़ पीड़ितों तक सही मायनों में मदद पहुंच सके।
दरअसल, पंजाब में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उपज गई थी जिसकी चपेट में आने से भारी संख्या में किसान प्रभावित हुए हैं। उन्हीं बाढ़ प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू है और फिर एक बार राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के शर्तों में बदलाव की मांग उठी है।
पंजाब की Bhagwant Mann सरकार ने केन्द्र से की अहम मांग
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने पंजाब सरकार का पक्ष रखते हुए एसडीआरएफ शर्तों में बदलाव की वकालत की है।
आप प्रवक्ता का कहना है कि “भाजपा पंजाब के साथ भेदभाव करना बंद करे और पंजाब के मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार एसडीआरएफ की शर्तों में बदलाव करे, ताकि बाढ़ पीड़ितों तक सही मायनों में मदद पहुंच सके।”
इससे इतर बीबीएमबी मुद्दे का जिक्र करते हुए नील गर्ग ने पक्ष रखा है। उनका कहना है कि “पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़, कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा और केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू को इस सवाल का जवाब देना चाहिए। आज जब बीबीएमबी में पंजाब के अधिकार का हनन हुआ, तो हिमाचल और राजस्थान को वोट का अधिकार दे दिया गया। सदस्यता दी जा रही है, क्या ये तीनों नेता पंजाब के साथ खड़े होंगे या केंद्र की भाजपा सरकार की गंदी राजनीति के साथ खड़े होंगे?” नील गर्ग के इस तल्ख अंदाज की खूब चर्चा हो रही है।
बाढ़ प्रभावित किसानों तक पहुंच रही मुआवजे की रकम
गौरतलब है कि पंजाब सरकार सूबे में बाढ़ से प्रभावित हुए किसानों को प्रति एकड़ 20000 रुपए का मुआवजा उपलब्ध करा रही है। पंजाब इस मानसून में भारी बारिश का गवाह बना है जिससे व्यापक स्तर पर फसलों की बर्बादी हुई है। राज्य सरकार ने किसानों की परेशानी समझते हुए आनन-फानन में 30 दिनों के भीतर मुआवजा वितरित करना शुरू कर दिया है। सरकार का पक्ष है कि यदि एसडीआरएफ शर्तों में बदलाव किया जाए, तो ज्यादा से ज्यादा किसानों तक आर्थिक मदद पहुंचाई जा सकती है। इस एक कदम से किसान लाभवान्वित होंगे और उन तक अतिरिक्त रूप से मुआवजे की धनराशि पहुंचेगी।