CM Bhagwant Mann: पंजाब वासियों के लिए आज का दिन बेहद खास है। दरअसल, आज 21 अक्टूबर को गुरु हरमिंदर साहिब जी की स्मृति में बंदी छोड़ दिवस मनाया जा रहा है। इस दौरान देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले सिख समुदाय के लोग गुरु साहिब को नमन करते हुए धर्म और समाज के लिए किए गए उनके कार्यों को याद कर रहे हैं।
सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस खास पर्व को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रत्येक वर्ष दिवाली के अगले दिन मनाए जाने वाले बंदी छोड़ दिवस का जिक्र करते हुए सीएम भगवंत मान ने कहा है कि गुरु साहिब का जीवन हमें मानवता के पक्ष में आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है।
बंदी छोड़ दिवस पर CM Bhagwant Mann की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज दिवाली के अगले दिन मनाए जा रहे बंदी छोड़ दिवस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
सीएम मान के एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “बंदी छोड़ दिवस पर सभी श्रद्धालुओं को कोटि-कोटि बधाई। छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के ग्वालियर किले से मुक्त होने और सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में उनके आगमन के उपलक्ष्य में स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला यह दिन हमें मानवता के पक्ष में आवाज उठाने के लिए प्रेरित करता है।”
बंदी छोड़ दिवस का ऐतिहासिक महत्व
दिवाली के अगले दिन सिख समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले बंदी छोड़ दिवस का ऐतिहासिक महत्व भी है। 19 जून 1595 को वडाली में जन्मे हरिगोबिंद जी अल्पायु में ही सभी कलाओं में निपुण हो गए थे। उन्होंने सम्राट जहांगीर और शाहजहां जैसे दो मुगल शासकों का सामना किया था। 1606 में गद्दी संभालने वाले हरिगोबिंद साहिब जी ने सामाजिक और धार्मिक कार्यों को खूब विस्तार दिया।
उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए जहांगीर ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और उन्हें कैद कर लिया। हालांकि, गुरु साहिब ने कभी भी अपने आदर्शों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। अंतत: भारी जद्दोजहद के बाद गुरु साहिब ने अपने साथ 52 अन्य राजाओं को साथ लेकर रिहाई स्वीकारी और रिहाई की रात वे जिस महल में रुके थे उसके मालिक हरिदास ने दीपमाला सजा कर खुशियां मनाईं। तभी से दिवाली के अगले दिन सिख धर्म के लोग बंदी छोड़ दिवस मनाते हैं।