Punjab News : पराली जलाने की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने और सतत खेती को और प्रोत्साहित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने पूरे प्रदेश के सहकारी बैंकों के माध्यम से संशोधित फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना शुरू की है।
यह योजना वायु प्रदूषण को कम करने में मुख्य भूमिका निभाएगी
किसानों और सहकारी सभाओं को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी खरीदने में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार की गई यह योजना वायु प्रदूषण को कम करने में मुख्य भूमिका निभाएगी तथा ग्रामीण समुदायों के लिए नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगी। इस पहल को वित्त आयुक्त सहकारिता सुमेर सिंह गुरजर तथा सहकारी सभाओं के रजिस्ट्रार गिरीश दियालन की अगुवाई में मंजूरी प्रदान की गई है, जिसमें कृषि क्षेत्र में सहकारी सभाओं की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
इस योजना की मुख्य विशेषताओं में प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं और बहु-उद्देश्यीय सहकारी सभाओं मशीनरी पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी (अधिकतम 24 लाख रुपए) के लिए पात्र होंगी।
मीटिंग में बताया गया है कि अग्रिम राशि के रूप में ऋण की 10 प्रतिशत राशि निर्धारित की गई है। व्यक्तिगत किसान मशीनरी पर 50 प्रतिशत सब्सिडी के पात्र होंगे और ऋण की राशि का 25 प्रतिशत हिस्सा उन्हें स्वयं वहन करना होगा।
केवल आधुनिक उपकरणों तक आसान पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा
यह ऐतिहासिक फैसला न केवल आधुनिक उपकरणों तक आसान पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि फसल अवशेष के प्रभावी प्रबंधन को भी सुनिश्चित करेगा, जिससे मुख्य रूप से उत्तर भारत में वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी। पंजाब सरकार बायो-ऊर्जा प्लांटों में फसल अवशेष का उपयोग भी प्रोत्साहित कर रही है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है और प्रदेश की हरित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने पंजाब में पर्यावरणीय स्थिरता, किसान कल्याण और सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने आगे बताया कि यह योजना पराली जलाने से उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करते हुए किसानों को अधिक सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध होगी।