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CM Gehlot ने वीरांगनाओं के परिवारजनों से की मुलाकात, नौकरी देने की मांग को लेकर कही ये बात

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CM Gehlot: राजस्थान में वीरांगनाओं की मांग को लेकर अब सियासत तेज होती जा रही है। एक तरफ जहां विधायक सचिन पायलट अपने ही सरकार के कुछ लोगों को घेरते हुए नजर आ रहे हैं,वहीं बीजेपी के नेता इसे सैनिकों की पत्नियों का अपमान बता रहे हैं। ऐसे में शनिवार को राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे को लेकर चुप्पी तोड़ी है। सीएम अशोक गहलोत ने साफ शब्दों में कहा है कि ” नौकरी केवल शहीदों की पत्नी और बच्चों को दिया जाना चाहिए, परिवार के अन्य किसी सदस्य को नौकरी देना गलत होगा।” शनिवार को वीरांगनाएं सीएम अशोक गहलोत से मिलने उनके आवास पर गई हुई थी, जहां उन्होंने अपनी बातों को सीएम के सामने गंभीरता से रखा।

नहीं मिलेगी परिवार के अन्य सदस्यों को नौकरी – CM Gehlot

सीएम अशोक गहलोत राज्य में चल रहे वीरांगनाओं की मांग वाले मुद्दे को जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं। इस मुद्दे को खत्म करने की वजह है राजस्थान में इस साल होने जा रहा विधानसभा चुनाव। सीएम गहलोत यह नहीं चाहते हैं कि आने वाले समय में इसका असर हमारे चुनाव पर पड़े। ऐसे में उन्होंने शहीदों के परिवारजनों से मुलकात कर ट्ववीट किया है। इस ट्वीट में सीएम ने परिवार के सदस्यों के साथ तस्वीर भी सांझा की है।

ट्वीट करते हुए सीएम गहलोत ने लिखा है कि ” वीरांगनाओं का अभिवादन,बलिदानियों को सादर नमन। आज निवास पर शहीदों की वीरांगनाओं ने अपनी भावनाएं व्यक्त कर प्रदेश सरकार की वर्तमान नीतियों को अपना समर्थन दिया। वीरांगना और उनके बच्चों के हक की नौकरी किसी अन्य को देना उचित नहीं है। प्रदेश सरकार शहीदों व परिवार के साथ सदैव खड़ी रहेगी।” ऐसे में सीएम के इस ट्वीट से ये साफ हो जाता है कि सरकार अब परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी देने के मूड में नहीं है।

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वीरांगनाओं ने रखी है ये मांग

पुलवामा हमले में शहीद जवानों की पत्नियां न दिनों अपने हक़ की लड़ाई के लिए दर बदर की ठोकरें खा रही है। बता दें कि शहीद के पत्नियों की मांग है कि ” उनके देवर को नौकरी मिलें साथ ही उनके पति की विशाल प्रतिमा चौराहे पर बनाई जाए। कुछ अन्य शहीदों के पत्नियों ने कहा है कि उनके पति के नाम से गांव की सड़के बननी चाहिए। ऐसे में सीएम गहलोत अभी इनकी मांगों को मानाने के लिए तैयार नहीं है। वहीं गहलोत सरकार में विधायक सचिन पायलट ने वीरांगनाओं से मुलकात कर कहा था कि “केंद्र और राज्य सरकार को इनकी बातें गंभीरता से सुनना चाहिए क्योंकि शहीद का परिवार हमारे लिए अमूल्य धरोहर की तरह है।”

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