S Jaishankar: एक और सधी चाल चलते हुए भारत ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को घेरने का बंदोबस्त कर लिया है। बलोचिस्तान की मार झेल रहे पाकिस्तान पर अफगानियों का कहर भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, कुटनीति के इस दौर में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबानी सरकार से आधिकारिक वार्ता की है। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत कर भारतीय विदेश मंत्री ने कई मसलों पर चर्चा की है। S Jaishankar ने इस वार्ता का ब्यौरा अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से साझा किया है। India Pakistan Conflict के बीच भारत और अफगानिस्तान सरकार के बीच हुई बातचीत के कई खास मायने हैं। दावा किया जा रहा है कि जहां एक ओर बलोचिस्तानी, पाकिस्तान पर आफत बनकर टूट रहे हैं, वहीं अब अफगानी भी पड़ोसी मुल्क के लिए संकट बन सकते हैं।
विदेश मंत्री S Jaishankar की तालिबान सरकार से खास वार्ता!
प्रमुख रूप से पाकिस्तान को चारो-खाने चित्त करने में जुटे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान सरकार से खास वार्ता की है। विदेश मंत्री के एक्स हैंडल से पोस्ट जारी कर लिखा गया है कि “आज शाम कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा की मैं तहे दिल से सराहना करता हूँ।झूठी और निराधार रिपोर्टों के जरिए भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हाल के प्रयासों को उनकी दृढ़ अस्वीकृति का स्वागत किया। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और उनकी विकास आवश्यकताओं के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित किया। सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की।” S Jaishankar की टिप्पणी का आशय स्पष्ट है कि पाकिस्तान के खिलाफ पूरी दुनिया में आवाज उठाने का क्रम जारी रहेगा।
क्या Balochistan के बाद अफगानी भी पड़ोसी मुल्क के लिए बनेंगे संकट?
एक दौर था जब अफगानिस्तान को पाकिस्तान की कठपुतली करार दिया जाता था। हालांकि, अब समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। तालिबानियों के आने के बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते अच्छे नहीं है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार भारत जैसे देश से संबंध स्थापित कर दुनिया को दिखाना चाहता है कि वे सिर्फ पाकिस्तान के भरोसे नहीं हैं। उनके पास और भी विकल्प हैं। यही वजह है कि तालिबान सरकार ने विदेश मंत्री S Jaishankar से संपर्क साध कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। मतलब साफ है कि अगर पाकिस्तान ने पहले की तरह अफगानियों को कठपुतली समझा, तो बलोचिस्तान की तरह अफगानी भी पड़ोसी मुल्क पर कहर बनकर टूटेंगे। जैसे बलोचिस्तान आज पाकिस्तान की नाक में दम कर रहा है, वैसे अफगानी भी कर सकते हैं और पड़ोसी मुल्क के लिए संकट बन सकते हैं।