Makar Sankranti 2025: बहुप्रतिक्षित मकर संक्रांति 2025 पर्व की आज देश के विभिन्न हिस्सों में धूम है। प्रयागराज से लेकर हरिद्वार तक लोग आज मकर संक्रांति के अवसर पर आस्था की डूबकी लगा रहे हैं। इससे इतर एक ऐसा वर्ग भी है जो Makar Sankranti 2025 मनाने से जुड़े रहस्य, तथ्य व वैज्ञानिक कारण जानने को आतुर है। पूछा जा रहा है कि क्या मकर संक्रांति सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है? क्या मकर संक्रांति के अवसर पर Maha Kumbh में ‘अमृत स्नान’ की मान्यता खास है? ऐसे में आइए हम आपको इन तमाम सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही ये भी बताते हैं कि मकर संक्रांति मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है?
Makar Sankranti 2025 पर्व मनाने के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या?
वैज्ञानिक तर्कों के अनुसार पौष पूर्णिमा के अगले दिन माघ की शुरुआत के साथ ही सूर्य अपनी दिशा बदलकर दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाते हैं। इस दौरान पृथ्वी 6 महीनों की अवधि के उपरांत उत्तर से दक्षिण की ओर वलन करती है। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह वर्ष का पहला सोलर ट्रांजिट भी होता है। यहां से सर्दी कम होने और दिन बढ़ने के संकेत भी मिलने लगते हैं। ये शतत और प्राकृतिक प्रक्रिया है जो प्रति वर्ष जारी रहती है।
प्रोफेसर और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का तर्क का है कि “मकर संक्रांति 2025 हमारे लिए बेहद खास है। जहां चीन, फ्रांस, ब्राजील समेत दुनिया के विभिन्न देशों की क्रांति सुनी गई है। सिर्फ भारत में ही क्रांति नहीं सुनी गई है। क्योंकि क्रांति वहां होती जहां सब कुछ बाहर पाने की इच्छा होती है। परंतु जहां सब कुछ अंदर खोजने की इच्छा हो वहां संक्रांति होती है।” इसीलिए सभी भारत वासियों के लिए Makar Sankranti 2025 का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति 2025 पर महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ की मान्यता क्या?
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम Maha Kumbh में यूं तो प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करेंगे। हालांकि, मकर संक्रांति के दिन होने वाले पहले अमृत या शाही स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन महाकुंभ मेला पहुंचकर अम्त स्नान करने वालों को आध्यात्मिक शुद्धि, पापों का प्रायश्चित, पुण्य और मोक्ष प्राप्ति होती है। वहीं महाकुंभ आयोजन ते पीछे सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति का ध्यान रखना और फिर ग्रहों की चाल के आधार पर विशेष तिथियां तय करना भी मकर संक्रांति और धार्मिक समागम के बीच एक परस्पर संबंध स्थापित करता है। यही वजह है कि आज मकर संक्रांति के खास अवसर पर पहले शाही या ‘अमृत स्नान’ की विशेष मान्यता है।