Gorakhpur Link Expressway: लंबे समय से जिसका इंतजार था आज वो घड़ी आ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंतत: आज आजमगढ़ के सलारपुर पहुंचकर गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर दिया है। कई दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में गोरखपुर को आजमगढ़ से जोड़ने वाले इस एक्सप्रेसवे को जनता के लिए खोल दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि 91 किमी लंबा Gorakhpur Link Expressway ना सिर्फ आजमगढ़, बल्कि सीएम योगी के गृह जनपद गोरखपुर की तस्वीर भी बदलेगा। जहां इस एक्सप्रेसवे की मदद से लोगों का सफर आसान होगा। वहीं व्यापारियों के लिए भी संभावनाओं के तमाम नए द्वार खुलेंगे और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
91 किमी लंबे Gorakhpur Link Expressway के उद्घाटन से व्यापारियों के लिए खुलेंगे नए द्वार
उभरते पूर्वांचल की दशा-दिशा बदलने गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे नई भूमिका निभाएगा। गोरखपुर के जैतपुर से शुरू होकर आजमगढ़ के सलारपुर तक जाकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़चा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे अब जनता को समर्पित कर दिया गया है। 7283.28 करोड़ रुपए की लागत से बने 91.35 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे से व्यापारियों की तकदीर बदल जाएगी। व्यापारी वर्ग पूर्वांचल के उभरते बाजार को देखते हुए गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे शैक्षणिक संस्थान से लेकर अस्पताल, रेस्तरा, ऑटो सर्विस सेंटर और होटल समेत अन्य तमाम व्यवसाय में निवेश करेगा। दावा किया जा रहा है कि Gorakhpur Link Expressway की उपयोगिता को समझते हुए व्यापारी वर्ग बढ़-चढ़कर निवेश में दिलचस्पी दिखाएंगे और अर्थव्यवस्था को गति देंगे।
Azamgarh के साथ CM Yogi के गृह जनपद गोरखपुर की बदलेगी तस्वीर!
परिवहन सुविधा दुरुस्त होती है तो इसका सीधा असर शहर के विकास और आम जनजीवन पर पड़ता है। यही वजह है कि Gorakhpur Link Expressway के उद्घाटन को लॉट्री का चाभी माना जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि जैतपुर (गोरखपुर) से सलारपुर (आजमगढ़) को जोड़ने वाले ये एक्सप्रेसवे दोनों शहरों की तस्वीर बदलेगा। गोरखपुर जहां एक ओर यूपी-बिहार के लिए कनेक्टिंग प्वाइंट है। वहीं एक उभरता बाजार भी है जो निवेशकों को तेजी से अपनी ओर आकर्षित करेगा। यही वजह है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे की मदद से लोगों का सफर आसान करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी दावे के मुताबिक Gorakhpur Link Expressway माध्यम से गोरखपुर से दिल्ली की यात्रा में 40 फीसदी और गोरखपुर से लखनऊ तक की यात्रा में लगभग 2 घंटे के समय की बचत होगी। इसके अलावा पूर्वांचल के औद्योगिक, सामाजिक, पर्यटन और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का मार्ग प्रसस्थ होगा।