CM Yogi Adityanath: सियासत का प्रमुख केन्द्र बन चुकी गोरखपुर की धरती पर दशकों से गोरक्षपीठ का दबदबा है। 5 जून, 2025 को अपना 53वां जन्मदिन मना रहे सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी गोरक्ष पीठ से जुड़े हैं। गोरक्ष पीठाधीश्वर की सियासत ऐतिहासिक गोरखपुर की धरा से ही ट्रैक पर आई थी। 5 जून, 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव में जन्मे योगी आदित्यनाथ ने पहले अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी और पहली बार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीता था। इस जीत के बाद CM Yogi Adityanath ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। महंत अवैद्यनाथ के बाद गोरखपुर की कमान संभालते हुए योगी आदित्यनाथ महज 26 की उम्र में संसद पहुंचे और 2017 में सीधे मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे में आइए हम आपको CM Yogi Birthday पर उनके संत से सांसद और फिर मुख्यमंत्री बनने का सफर बताते हैं।
गोरखपुर में कैसे ट्रैक पर आई CM Yogi Adityanath की सियासत?
पूर्वांचल के गोरखपुर में स्थित गोरक्षनाथ मंदिर की सियासी पैठ सभी को पता है। सीएम योगी आदित्यनाथ से पूर्व उनके गुरु महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवैद्यनाथ भी गोरखपीठ की कमान संभालते हुए प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सीएम योगी को राजनीति विरासत में मिली थी और वे अपने गुरु ब्रंह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के निर्देश पर 1998 में पहला लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे। पहला चुनाव 26206 वोटों के अंतर से जीतने के बाद CM Yogi Adityanath अपने दूसरे लोकसभा चुनाव में लगभग 7000 वोटों से जीत दर्ज कर पाए जो कि उनके लिए एक झटका था। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने रणनीति बदली और हिंदू युवा वाहिनी का गठन हुआ जिसके बाद पूर्वांचल में गोरक्षपीठ का दबदबा और बढ़ा। आलम ये रहा कि 1998 में कम अंतर से जीतने वाले योगी आदित्यनाथ 2004 में लाखों के अंतर से चुनाव जीते।
फिर 2009 और 2014 में क्रमश: CM Yogi Adityanath के जीत का अंतर बढ़ता गया और लगातार 5 बार संसद पहुंचकर उन्होंने इतिहास रचा। इसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव हुए और उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया और वे मुख्यमंत्री बने। कुछ इस प्रकार गोरखपुर से सीएम योगी की सियासत ट्रैत पर आई थी जिसके बाद वो एक अलग सियासी ऊंचाई को छूते हुए आज 8 सालों से ज्यादा वक्त से यूपी की सत्ता में काबिज हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ के संत से सांसद और फिर सीधे मुख्यमंत्री बनने का सफर है बेहद दिलचस्प!
मालूम हो कि अजय सिंह बिष्ट के रूप में उत्तराखंड से गोरक्ष पीठ पहुंचे एक युवक ने पहले सन्यास लिया। फिर वो अजय बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बने और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। संत बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने 1998 में लोकसभा चुनाव जीत कर राजनीति में पदार्पण किया और सांसद बने। संत से सांसद बनने का ये सफर वर्ष 2014 तक जारी रहा। अंतत: 2017 विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने शीर्ष नेतृत्व व RSS को प्रभावित किया और विधायक दल के नेता चुने गए। फिर 19 मार्च 2017 को लखनऊ के स्मृति उपवन में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और ने यूपी में सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे। CM Yogi Adityanath के संत से सांसद और फिर मुख्यमंत्री बनने का ये सफर बेहद दिलचस्प है।