Red Fort Blast: लाल किला के निकट हुए धमाके की गूंज से पूरा देश दहल उठा है। हालांकि, इस धमाके का दंश वो परिवार प्रमुख रूप से झेल रहे हैं जिनके अपने आग की लपटों में जलकर खाक हो गए। ऐसे ही एक मृतक दिनेश मिश्रा हैं जिनकी मौत की खबर ने पूरे श्रावस्ती को झकझोर कर रख दिया। श्रावस्ती के गणेशपुर गांव के रहने वाले दिनेश मिश्रा चावड़ी बाजार के एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करते थे।
दिवाली के बाद दिल्ली लौटे दिनेश मिश्रा की भी रेड फोर्ट ब्लास्ट की चपेट में आने से मौत हो गई। ये एक ऐसा धमाका था जिसने मिश्रा परिवार की दुनिया को एक झटके में उजाड़ दिया। दिनेश मिश्र अपने बेसहारा मां-बाप, पत्नी और तीन मासूम बच्चों को छोड़ परलोक सिधार चुके हैं। श्रावस्ती के दिनेश का मौत की भेंट चढ़ना इतना दर्दनाक है कि इससे जुड़ी रिपोर्ट पढ़कर रोंगटे खड़े हो रहे हैं।
श्रावस्ती के दिनेश की मौत से एक झटके में उजड़ गई परिवार की दुनिया
यूपी के श्रावस्ती जिले में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। इसकी प्रमुख वजह है दिनेश मिश्र की मौत जो दिल्ली बम धमाके में झुलस गए। लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 पर हुए धमाके की चपेट में जो बेकसूर लोग आए थे दिनेश मिश्रा उनमें से एक थे। श्रावस्ती के गणेशपुर गांव के रहने वाले 32 वर्षीय दिनेश मिश्र चावड़ी बाजार के एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करते थे। काम से लौट रहे दिनेश धमाके की चपेट में आ गए और उनके चिथड़े उड़ गए।
बेटे की मौत से जुड़ी खबर सुनकर मृतक के पिता भुरई मिश्रा नम आंखे लिए पुरानी बातों को याद कर रहे हैं। बोझिल आंखें लिए मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं पत्नी और तीन मासूम बच्चे भी क्रमश: अपने पति और बाप को ढूंढ़ते हुए चीख-चिल्ला रहे हैं। मृतक दिनेश मिश्रा की पत्नी कहती हैं कि एक झटके में उनकी दुनिया उजड़ गई और परिवार बेसहारा हो गया। परिवार के ऊपर से दिनेश का साया उठ गया जिसके बाद स्थिति दयनीय हो गई है।
खौफनाक Red Fort Blast में बिखर गए बेकसूर जिंदगियों के टुकड़े
धमाकों की गूंज ने जहां एक ओर पूरे देश को दहला दिया है, वहीं कई बेकसूर जिंदगियों के टुकड़े बिखर गए हैं। श्रावस्ती के दिनेश मिश्रा से इतर मेरठ के लोहिया नगर निवासी मोहसिन की जिंदगी भी धमाके की आगोश में समा गई। वहीं शामली के 18 वर्षीय नौमान अंसारी, अमरोहा निवासी डीटीसी बस कंडक्टर अशोक कुमार और व्यापारी लोकेश कुमार अग्रवाल भी रेड फोर्ट ब्लास्ट की चपेट में आने से मौत की भेंट चढ़ गए। मरने वालों में सभी ऐसे लोग थे जो अपनी आजीविका को रफ्तार देने के लिए दिल्ली की दहलीज पर पहुंचे थे। हालांकि, वहां लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट मौत बैठी उनका इंतजार कर रही थी जिसके बाद मृतकों के परिजनों की दुनिया ही उजड़ गई।






