Sambhal ASI Survey: संभल में एक के बाद एक प्राचीन विरासत से जुड़े चिन्ह सामने आ रहे हैं। ये प्राचीन चिन्ह परंपरा और संस्कृति को दर्शाने और समृद्ध का प्रतीक माने जा रहे हैं। इसी कड़ी में संभल के सौंधन मोहम्मदपुर गांव में 500 वर्ष पुराना किला मिला है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम भी मोहम्मदपुर गांव में पुहंची है और किले का सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस दौरान सर्वेक्षण में प्राचीन कुओं को भी शामिल किया गया है, ताकि उनका जीर्णोधार कराया जा सके। संभल एएसआई सर्वे के बीच कुछ सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या शासन एक फिर संभल में खुदाई कराने की तैयारी में है? क्या निकट भविष्य में प्राचीन धरोहरों की खोड में खुदाई कराई जा सकती है? तो चलिए हम आपको इन सवालों के साथ Sambhal ASI Survey के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं।
Sambhal ASI Survey ‘मोहम्मदपुर’ गांव में 500 वर्ष पुराना किला!
समाचार एजेंसी आईएएनएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम आज संभल के मोहम्मदपुर इलाके में पहुंच चुकी है। इस दौरान एएसआई विभाग से जुड़े अधिकारी मौके पर मुआयना और सर्वेक्षण का काम कर रहे हैं। संभल एएसआई सर्वे के दौरान अधिकारियों ने शासन के निर्देशानुसार सौंधन मोहम्मदपुर गांव में 500 साल पुराने किले में सर्वे का काम पूरा कर लिया है। इसके अलावा मोहम्मदपुर गांव में स्थित प्राचीन कुओं और अन्य किलों का सर्वेक्षण भी किया गया है। आईएएनएस की ओर से जारी वीडियो में Sambhal ASI Survey से जुड़ी कार्रवाई को देखा जा सकता है। वीडियो में अधिकारी सर्वेक्षण का काम करते नजर आ रहे हैं।
संभल में क्या फिर होगी खुदाई?
पश्चिमी यूपी का संभल जिला 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद लगातार चर्चाओं में है। जामा मस्जिद सर्वे के बाद हुई हिंसा ने संभल में चिंगारी का काम किया, जो पूरे इलाके में फैल गई। हालांकि, प्रशासनिक अमला की तैनाती कर स्थिति को नियंत्रित किया गया और फिर अतिक्रमण पर कार्रवाई शुरू हुई। इसी दौरान दशकों से बंद पड़ा एक प्राचीन मंदिर, कई बावड़ी और कुएं भी मिले। प्रशासन की देख-रेख में खुदाई का काम हुआ और अब प्राचीन विरासतों का जीर्णोधार किया जा रहा है। यही वजह है कि Sambhal ASI Survey के बीच मोहम्मदपुर सुर्खियों मे है और एक बार फिर खुदाई की संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि, शासन की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। शासन के निर्देशानुसार कार्यरत प्रशासन का कहना है कि आवश्यकतानुसार कदम उठाए जाएंगे और प्राचीन विरासतों का जीर्णोधार करने का काम किया जाएगा।