MGS Narayanan: दक्षिण भारत में अपनी अलग धाक के लिए छाप छोड़ चुके दिग्गज इतिहासकार एमजीएस नारायणन का निधन हो गया है। 92 वर्ष की उम्र में इतिहासकार ने आज अंतिम सांस ली है। उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे MGS Narayanan का निधन बेहद दुखद है। उनके मालापरम्बा स्थित निवास ‘मैत्री’ पर लोगों का आना-जाना शुरू है। केरल के तमाम बुद्धिजीवी व राजनेताओं ने दिग्गज इतिहासकार नारायणन ने निधन पर शोक व्यक्त किया है। बुद्धिजीवियों का कहना है कि एमजीएस नारायणन के निधन से एक ऐसा शून्य पैदा हुआ है जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती है।
केरल के ऐतिहासिक अध्ययनों को आकार देने वाले विद्वान थे MGS Narayanan
इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले लोग निश्चित रूप से एमजीएस नारायणन के नाम से परिचित होंगे। ये एक ऐसा नाम है जिसने केरल के एतिहासिक अध्ययनों को आकार देने में अपनी अहम भूमिका निभाई। केरल के कालीकट विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद, MGS Narayanan ने इतिहास विभाग में व्याख्याता और फिर प्रोफेसर (1976) के रूप में काम किया। इसके बाद सामाजिक विज्ञान और मानविकी संकाय के डीन बने। 1970 से 1992 तक की अवधि में एमजीएस नारायणन ने पुस्तकालय और केरल इतिहास व संस्कृति का संग्रहालय स्थापित करने में मदद की। उनके प्रयासों का असर ऐसा हुआ कि छात्रों के बीच इतिहास जानने और समझने की दिचस्पी बढ़ी।
एमजीएस नारायणन के निधन पर पसरी शोक की लहर
ख्याति प्राप्त शिक्षाविद, लेखक और राजनीतिक पर्यवेक्षक रहे एमजीएस नारायणन के निधन के बाद केरल में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) के अध्यक्ष के रूप में काम कर चुके MGS Narayanan को श्रद्धा-सुमन अर्पित करने दिग्गज उनके ‘मैत्री’ आवास पर पहुंच रहे हैं। लेफ्ट सरकार में शामिल कई राजनेताओं से उनके व्यक्तिगत संबंध थे जो उनकी लोकप्रियता को दर्शाते हैं। फिलहाल कई शिक्षण संस्थानों में एमजीएस नारायणन के निधन के बाद शोक संवेदना व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।