Waqf Act: नए-नवेले एक कानून की चर्चा सियासी गलियारों से लेकर कोर्ट-कचहरी तक में स्थित चैंबरों में हो रही है। सुप्रीम कोर्ट परिसर तो चर्चाओं की गूंज से भरा पड़ा है। यहां बात वक्फ एक्ट की हो रही है जिसे बीते बजट सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से पारित कर सरकार ने कानून बना दिया है। आज 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस नए कानून पर दूसरी सुनवाई होनी है। इससे पूर्व सुगबुगाहट तेज है।
विशेषज्ञ अपने-अपने हिस्से की राय पेश करते हुए Waqf Act की खामियां और फायदे बता रहे हैं। कपिल सिबल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज वकील SC में वक्फ एक्ट के खिलाफ दाखिल की गई याचिकाओं पर दलीलें पेश कर रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या Supreme Court की दखल के बाद याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर सहमति बन पाएगी? क्या SC वक्फ एक्ट को रद्द या उसमें कुछ संशोधन के आदेश दे सकता है? तो आइए हम आज इन्हीं सवालों के इर्द-गिर्द चर्चा को स्थान देते हैं।
नए Waqf Act पर अगली सुनवाई को लेकर सुगबुगाहट तेज!
देश की सर्वोच्च अदालत में आज नए वक्फ एक्ट को लेकर दूसरी सुनवाई होनी है। बीते कल याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए कपिल सिबल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे दिग्गज वकीलों ने अपनी दलीलें पेश की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम टिप्पणियां कर आज दो बजे के बाद सुनवाई के आदेश दिए। दावा किया जा रहा है कि कोर्ट Waqf Act के कुछ क्लॉज में बदलाव के आदेश दे सकता है। हालांकि, अभी इसके लिए SC के आदेश का इंतजार करना होगा।
क्या SC की दखल के बाद मुस्लिम समुदाय की मांगे होंगी पूरी?
ये सवाल अपने आप में बेहद पेंचीदा है जिसका जवाब सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बाद दिया जा सकता है। फिलहाल, सारी बातें कयासबाजी के आधार पर कही जा रही हैं। कपिल सिबल और अभिषेक मनु सिंघवी मुस्लिम समुदाय की ओर से दायर की गई याचिकाओं की पैरवी कर रहे हैं। कपिल सिबल ने कहा कि “राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं या नहीं? सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं?”
कपिल सिबल ने राम जन्मभूमि के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि धारा 36, उपयोगकर्ता की तरफ से बना सकते हैं, संपत्ति की कोई आवश्यकता नहीं है। नए Waqf Act में विशेष सदस्यों के नाम पर गैर मुस्लिमों को जगह दी गई है। यह नया कानून अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि यह कानून इस्लाम धर्म की अंदरूनी व्यवस्था के खिलाफ है। वक्फ इस्लाम के लिए आवश्यक और अभिन्न अंग है। धर्म, विशेष रूप से दान, इस्लाम का आवश्यक और अभिन्न अंग है।
तमाम दलीलों और तर्कों को सुनने के बाद SC ने अहम टिप्पणी की है। SC ने सरकार से सवालिया अंदाज में पूछा कि “क्या आप हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करेंगे? अगर कोई संपत्ति 100-200 साल पहले वक्फ घोषित हुई है, तो उसे अचानक से बदला नहीं जा सकता। आप इतिहास को दोबारा नहीं लिख सकते।” ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि SC वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था को हटाने और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को नामित करने की व्यवस्था पर अंतरिम रोक लगा सकता है, जो कि मुस्लिम पक्ष के लिए राहत भरी बात हो सकती है।
वक्फ एक्ट को मिली चुनौती के संबंध में केन्द्र सरकार का पक्ष
सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने नए वक्फ एक्ट को मिली चुनौती पर कहा कि ऐसे बहुतायत मुसलमान हैं जो वक्फ कानून से शासित नहीं होना चाहते। वक्फ संशोधन कानून संसद की संयुक्त समिति की 38 बैठकों के बाद बना है और इसे 98.2 लाख लोगों की राय जानने के बाद पारित किया गया है। ऐसे में Waqf Act मुसलमानों के हित मे है और कोर्ट को इसके खिलाफ दाखिल याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए। फिलहाल SC, सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुन रहा है और आज दोपहर 2 बजे फिर सुनवाई होनी है। ऐसे में सबकी निगाहें इसी पर टिकी हैं कि SC क्या आदेश जारी करता है।