Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। इसी बीच, बिहार का बहुचर्चित मोकामा विधानसभा क्षेत्र इन दिनों चर्चा में है। सूरजभान सिंह और अनंत सिंह के बीच संभावित चुनावी जंग की खबर ने पटना से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। 1990 के दशक में बिहार में अपना नाम चमकाने वाले सूरजभान सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
वहीं दूसरी ओर, अनंत सिंह भी मोकामा से लेकर पटना तक एक प्रमुख हस्ती के रूप में जाने जाते हैं। ये दोनों नेता बिहार में बाहुबली के तौर पर जाने जाते हैं। इसके पीछे की कहानी लंबी है। लेकिन संक्षेप में, जब दिवंगत छोटन शुक्ला के परिवार का बिहार में दबदबा था, तब भुटकुन शुक्ला, मुन्ना शुक्ला, बृजबिहारी प्रसाद, अशोक सम्राट और नुनु सिंह जैसे बाहुबलियों का दौर अपने चरम पर था। उस दौर में एक ऐसा बाहुबली था जिसकी मंज़ूरी मिले वगैर रेलवे का कोई भी ठेका नहीं होता था। इतना ही नहीं, उसने पटना से लेकर गोरखपुर तक अपने नाम का खौफ कायम रखा था। अब आप समझ ही गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हाँ, आपने सही अनुमान लगाया, हम बात कर रहे हैं सूरजभान सिंह की। आज बिहार की राजनीति में उनके नाम की चर्चा किए बिना कहानी अधूरी रहेगी।
कौन हैं सूरजभान सिंह?
5 मार्च 1965 को गंगा नदी के किनारे मोकामा में एक किसान परिवार में जन्मे सूरजभान सिंह को एहसास हुआ कि चीजें बदल रही हैं और उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया। इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है। राजनीति में आने से पहले, सूरजभान सिंह कई मामलों का सामना कर रहे थे, जिनमें से कई में उन्हें जमानत मिल चुकी थी, जबकि अन्य केस अदालत में लंबित थे। ऐसा कहा जाता है कि इन कारणों ने सूरजभान सिंह को एक सफेदपोश राजनेता बनने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने मोकामा से चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसे बहुत कठिन रास्ता माना जा रहा था। उस समय, मोकामा पर अनंत सिंह के बड़े भाई, दिवंगत दिलीप सिंह का शासन था। 2000 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए, उन्होंने दिलीप सिंह को भारी अंतर से हराया। इस जीत ने सूरजभान सिंह को बिहार की राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।
आगे चलकर सूरजभान सिंह 2004 में लोजपा के टिकट पर सांसद बने। हालांकि, तत्कालीन मंत्री बृजबिहारी हत्याकांड में सजा होने के बाद वो चुनाव लड़ने से वंचित हो गए। इसके बाद उनकी पत्नी वीणा देवी और बाद में उनके भाई चंदन सिंह राजनीति में आए। समय के साथ, दोनों सांसद भी बने। अब मोकामा में साल 2000 के दौर को उलट कर देखा जा रहा है। इसके पीछे के वजहों को जानने के लिए इस लेख को अंत तक पढ़ें।
Bihar Assembly Election 2025: मोकामा में राजद और जदयू के बीच चुनावी टक्कर
यह तो जगजाहिर रहा है कि अनंत सिंह बिहार विधानसभा चुनाव 2025 मोकामा से लड़ेंगे। और तो और, वह यह विधानसभा चुनाव जेडीयू के टिकट पर लड़ेंगे। अनंत सिंह ने खुद इसकी पुष्टि की है। मालूम हो कि वह पहले आरजेडी में थे, लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने महागठबंधन से नाता तोड़ा, अनंत सिंह जेडीयू में शामिल हो गए थे। अब, एक नया अपेडट यह है कि सूरजभान सिंह अपने परिवार के किसी सदस्य को आरजेडी के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने पर विचार कर रहे हैं। ऐसी खबरें कई मीडिया रिपोर्ट्स में देखने को मिली है। अगर ऐसा होता है, तो यह निश्चित रूप से दो बाहुबलियों के बीच एक दिलचस्प चुनावी जंग होगी, जो जनता की पसंद के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी।