Sunday, March 16, 2025
Homeख़ास खबरेंमहायुति सरकार में टकराव की वो दस बातें जो Devendra Fadnavis सरकार...

महायुति सरकार में टकराव की वो दस बातें जो Devendra Fadnavis सरकार के गिरने का बन सकती हैं कारण, जानें Eknath Shinde की जगह कौन बन सकता है किंगमेकर?

Date:

Related stories

Eknath Shinde: इन दिनों महाराष्ट्र में एक वाक्य हर किसी की जुबान पर है। वो है ‘जहां-जहां एकनाथ शिंदे का प्रभाव है, वहां बीजेपी और अजित एक साथ आ रहे हैं…’ राजनीति में दिलचस्पी रखने वाला हर शख्स इसके मायने जानता है। फिलहाल ये बात बिल्कुल सच है कि महाराष्ट्र की सत्ताधारी महायुति में बड़ी दरार पड़ रही है। जिसमें बीजेपी, Eknath Shinde की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल है। यहां ये समझना जरूरी है कि राज्य में पिछले साल अक्टूबर महीने में विधानसभा चुनाव हुए थे। इसके बाद से ही सभी के बीच अलग-अलग मुद्दों पर मतभेद और टकराव की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हालांकि कई बार हालात बिगड़ते देख कुछ नेताओं ने सबको नजरअंदाज करते हुए ये कहने की पूरी कोशिश की है कि सब ठीक है। लेकिन महाराष्ट्र से हर दिन आ रही महायुति की खबरों ने देवेंद्र फडणवीस सरकार के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

महायुति सरकार टूटती है तो ये होंगे मुख्य कारण:

  • पिछले 11 सालों में विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के बीच जितने भी गठबंधन हुए हैं, उनमें महाराष्ट्र में महायुति 2024 गठबंधन खास रहा। यह मुख्य रूप से उन राजनीतिक दलों के बीच असंतोष को दर्शाता है जो एक बड़ी पार्टी से अलग होकर नए बैनर के तहत महायुति गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे। इनमें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और Ajit Pawar की एनसीपी शामिल थी। स्क्रीन पर सभी एक, दूसरे और तीसरे से पूरी तरह खुश दिखे। लेकिन यह सच है कि चुनाव से पहले महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर दिक्कत थी।

  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे महायुति गठबंधन के पक्ष में रहे थे। इसके बाद से ही इस गठबंधन के भीतर राज्य के मुख्यमंत्री पद को लेकर राजनीतिक उठापटक की खबरें सूत्रों से आती रही हैं। फिलहाल वहां से आ रही खबरें उस समय की सूत्र आधारित खबरों की पुष्टि करने पर आमादा नजर आ रही हैं। बताया जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री के चयन की बात आई तो भाजपा और शिंदे के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनबन हो गई थी। सूत्रों का दावा है कि Maharashtra में विकास कार्यों की कहानी को बढ़ाने के लिए शिंदे कुछ समय तक राज्य में मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते थे। लेकिन भाजपा देवेंद्र फडणवीस के नाम पर राजी थी। इसलिए आखिरी वक्त में भाजपा आलाकमान ने सीधे हस्तक्षेप किया और शिंदे को डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी करने में सफल रहा।

  • विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि अगर शिंदे ने भाजपा आलाकमान की बात नहीं मानी होती तो दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए प्लान बी की स्क्रिप्ट पर आगे बढ़ चुका होता। जानकारी है कि एकनाथ शिंदे के मित्र उदय सामंत देवेंद्र फडणवीस के करीबी नेताओं की सूची में सबसे ऊपर रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि भाजपा के प्लान बी चैप्टर उदय सामंत और उनके करीबियों पर आधारित था। दावा है कि Uday Samant के गुट के 20 विधायक भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार थे। यहां यह समझना जरूरी है कि शिंदे की शिवसेना के पास फिलहाल 57 विधायक हैं। अगर उनमें से 20 अलग हो जाते तो खेल का नतीजा शिंदे के खिलाफ होता। ऐसी स्थिति में दलबदल विरोधी कानून के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनती और शिंदे की जगह उदय सामंत को डिप्टी सीएम बनाया जाता। लेकिन कहा जाता है कि शिंदे को इसकी भनक लग गई और वह उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार हो गए, ताकि उदय सामंत किसी भी हालत में अपने मौजूदा कद और पद तक न पहुंच पाएं।

  • महाराष्ट्र में जब महायुति सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था, तब सबकी निगाहें एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी पर थीं। इसके पीछे की वजह महायुति गठबंधन में शामिल तीनों राजनीतिक दलों के बीच मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान थी। सूत्र ने दावा किया कि शिंदे राज्य की महायुति सरकार में गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते थे। लेकिन भाजपा कतई नहीं चाहती थी कि CM उनकी पार्टी का हो और गृह विभाग किसी और के जिम्मे रहे। इस मुद्दे पर भी दोनों के बीच मतभेद थे। दूसरी वजह यह थी कि आज तक ऐसे मौके कम ही देखने को मिले हैं, जब कोई सीएम गृह विभाग किसी और को दे। ऐसे में Devendra Fadnavis मुख्यमंत्री रहते हुए इस विभाग की कमान अपने पास रखने पर अड़े रहे। तब बताया जाता है कि राजस्व और शहर विकास विभाग की मांग शिंदे ने की थी। इसे भी भाजपा आलाकमान ने खारिज कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि हालात ऐसे थे कि शिंदे के पास कोई विकल्प नहीं था, हालातों को देखते हुए आखिरकार उन्होंने शहर विकास विभाग स्वीकार कर लिया।

  • विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनी थी। मंत्रिमंडल की जिम्मेदारी और अन्य मामलों को लेकर माहौल गरमाया हुआ था। जिलेवार मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर विवाद की झलक फिर देखने को मिली। मालूम हो कि नासिक में BJP के गिरीश महाजन और रायगढ़ में अजित की पार्टी की अदिति तटकरे को जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन शिंदे की Shiv Sena ने इसे स्वीकार नहीं किया। नतीजतन अगले 24 घंटों के दौरान इस फैसले को रोकना पड़ा। इसके बाद यह मामला अभी भी अटका हुआ है। वैसे भी दोनों जिले पहले भी शिंदे की शिवसेना के पास रहे हैं।

  • सूत्र दावा कर रहे हैं कि महायुति सरकार में तीनों प्रमुख दलों के बीच चल रही खींचतान के पीछे कुछ कारण जरूर हैं। लेकिन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पुनर्गठन में एकनाथ शिंदे को दरकिनार करना BJP के लिए महंगा साबित हुआ है। हालांकि Maha Yuti में स्थिति बिगड़ती देख शिंदे को इसमें शामिल करने की पहल की गई। इसीलिए बाद में उन्हें शामिल किया गया।

  • महायुति सरकार में एक नहीं बल्कि कई विवाद हैं। राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष पद को लेकर शिंदे गुट में नाराजगी है। दरअसल, ज्यादातर समय परिवहन मंत्री ही महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष रहे हैं। लेकिन इस सरकार में परिवहन मंत्रालय शिंदे की शिवसेना के प्रताप सरनाईक के हाथ में है। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय सेठी को महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। खबर लिखे जाने तक Maha Yuti सरकार में इसको लेकर विवाद सुलझ नहीं पाया है। इसे लेकर विवाद अभी भी चल रहा है।

  • सूत्र दावा कर रहे हैं कि Maharashtra Assembly Election में महायुति की बंपर जीत का श्रेय एकनाथ शिंदे द्वारा मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कई कामों को भी जाता है। इनमें लाडली बहना और आनंदाचा शिधा जैसी लोकप्रिय योजनाएं उनके नेतृत्व वाली सरकार ने लागू कीं। इन योजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार काफी सख्ती बरत रही है। सूत्रों का कहना है कि शिंदे इनसे नाराज हैं। बल्कि शिंदे के समय में लाडली बहना और त्योहारों के दौरान गरीबों को मुफ्त में दी जाने वाली राशन किट योजना आनंदाचा शिधा की राज्य में तारीफ हो रही थी। हालांकि इन योजनाओं को बंद नहीं किया गया है, लेकिन नियमों में सरकार द्वारा बरती जा रही सख्ती से आम जनता निराश है। इसे लेकर शिंदे की शिवसेना और भाजपा के बीच विवाद चल रहा है।

  • विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि एकनाथ शिंदे Maharashtra में अपनी लोकप्रियता को दूसरे राज्यों में भी स्थापित करने की कोशिश करना चाहते हैं, लेकिन भाजपा ऐसा नहीं चाहती। इसे लेकर भाजपा ने यहां नई योजना पर काम करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में भाजपा हो या अजित पवार, सभी सक्रिय मूड में नजर आ रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि इसी के मद्देनजर अजित पवार की पार्टी का प्रभाव दिल्ली विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था। हालांकि, इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली।

  • सूत्रों का दावा है कि महायुति सरकार में भाजपा ने बड़े भाई की भूमिका निभाई है। इसके अलावा अन्य सहयोगी दलों की भूमिका भी अहम है। इसके बावजूद शिंदे गुट को ज्यादातर जगहों पर मनचाही जगह नहीं मिल पा रही है। इसकी एक झलक हाल ही में शिंदे गुट के 20 विधायकों की सुरक्षा में की गई कटौती में देखी जा सकती है। हालांकि, अजित के गुट के विधायकों की सुरक्षा भी कम की गई है। लेकिन अजित पवार की पार्टी NCP के जिन विधायकों की सुरक्षा कम की गई है, उनकी संख्या शिंदे की पार्टी शिवसेना के विधायकों के मुकाबले कम है। इसे लेकर भी शिंदे नाराज हैं – सूत्र।

शिंदे की हर गतिविधि में मिलते हैं ये संकेत

महायुति सरकार में तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच चल रही खींचतान अब खुलकर सामने आ गई है। यह पहली बार नहीं है कि शिंदे किसी महत्वपूर्ण बैठक का हिस्सा नहीं रहे हों। दरअसल, इससे पहले भी वह खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहे हैं। शिंदे को अब समझ आने लगा है कि महाराष्ट्र की राजनीति में उनका अगला कदम किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं है। इसमें उनके मौजूदा सहयोगी द्वारा उन्हें दरकिनार करने की लगातार कोशिशों का सामना करना भी शामिल है। इसकी झलक Eknath Shinde के महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठकों में शामिल न होने में भी देखी गई है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि शिंदे भाजपा या अजित पवार द्वारा आयोजित बैठकों से दूरी बनाए रखते रहे हैं। शिंदे स्वतंत्र बैठकें आयोजित करते रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अपना स्वतंत्र राहत कोष भी संचालित करना शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि वह दिन दूर नहीं जब शिंदे अपने मौजूदा सहयोगी से अलग रास्ता चुन लेंगे। क्योंकि उनका मानना​है कि फिलहाल महायुति में भाजपा और अजित पवार द्वारा शिंदे को दरकिनार करने का रास्ता एक जैसा ही नजर आ रहा है-सूत्र।

ये भी पढ़ें: कांग्रेस से नाराजगी के बीच क्या बीजेपी संग Shashi Tharoor की बढ़ रही नजदीकियां? जानें Rahul Gandhi के लिए ये क्यों बन सकता है चिंता का विषय

Rupesh Ranjan
Rupesh Ranjanhttp://www.dnpindiahindi.in
Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

Latest stories