National Voters’ Day 2025: आज भारत राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही भारतीय लोकतांत्रिक शक्तियों की चर्चा देश-विदेश में हो रही है। आज से ठीक 75 वर्ष पहले भारत का Election Commission अस्तित्व में आया था। तब से लेकर अब तक चुनाव आयोग की बेहतरीन कार्यशैली ने न केवल भारतीय चुनाव प्रणाली को मजबूत किया है, बल्कि देश के मतदाताओं को इसके महत्व से जोड़ने में भी अपार सफलता हासिल की है।
Election Commission की खास उपलब्धियां
मालूम हो कि देश में National Voters’ Day मनाने की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के लोकतंत्र में मतदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करना और उन्हें प्रोत्साहित करना तथा उनमें मतदान की जिम्मेदारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह दिवस भारतीय नागरिकों की अपने वोट के महत्व के माध्यम से, देश के भविष्य को आकार देने की शक्ति पर जोर देता है।
इस वर्ष यानि 2025 में चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम ‘Nothing like Voting, I Vote for Sure’ रखी है। इसका उद्देश्य देश के लोकतंत्र को बनाए रखने में मतदान को एक महत्वपूर्ण और सशक्त माध्यम के रूप में प्रस्तुत करना है, जो देश के नेतृत्व को एक नई तस्वीर प्रदान कर सकता है।
वहीं, चुनाव आयोग की विशेष उपलब्धियों की बात करें तो उसने बड़े पैमाने पर मतदान की बैलेट पेपर प्रणाली की जगह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ईवीएम को अपनाकर आधुनिक इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसके जरिए आयोग ने विभिन्न चुनावों के नतीजों को पारदर्शी बनाने में जबरदस्त सफलता हासिल की है।
आपको बता दें कि Election Commission of India हर साल नई ऊंचाइयों को छू रहा है। इसका प्रमाण देश में मतदाताओं की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी से समझा जा सकता है। चुनाव आयोग डोर टू डोर कैंपेन आदि के जरिए देश के लोकतांत्रिक उत्सव को मजबूत बनाने में एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है। यह पिछले 75 वर्षों से भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।
भारतीय चुनाव आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2025 में देश भर में मतदाताओं की संख्या 99.1 करोड़ तक पहुंच गई है। यह पिछले साल से 2.22 करोड़ अधिक है। इनमें 18-29 आयु वर्ग के 21.7 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इसके अलावा इस साल मतदाता लिंग अनुपात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल 2024 में यह 948 था। जो अब इस साल यानी 2025 में छह अंक बढ़कर 954 हो गया है।
Election Commission of India के दो मुख्य कानून
आपको बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग की स्थापना की गई थी। इसके अनुसार आयोग को चुनाव कराने, निगरानी करने और नियंत्रण करने की शक्ति दी गई थी। हालांकि, 1950 के दशक में संविधान सभा के कई सदस्यों ने इस पर सवाल उठाए थे।
आखिरकार, Election Commission के प्रारूपकार ने पाया कि देश में Democratic व्यवस्था बनाए रखने के लिए, Election संचालन के लिए एक केंद्रीय एजेंसी का होना जरूरी है। इससे देश के स्थानीय चुनावों से जुड़े नियंत्रण के नुकसान को रोका जा सकेगा। मालूम हो कि देश के संविधान के तहत चुनाव आयोग को दो बड़े कानूनों की शक्ति प्राप्त है। इनमें 1950 और 1951 का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम शामिल है।
जानकारी हो कि Representation of the People Act, 1950 के तहत चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची तैयार करने और उसमें संशोधन करने, चुनावी परिसीमन का निर्धारण करने और मतदाताओं की पात्रता की जांच करने आदि की शक्ति है। जबकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार चुनाव आयोग के पास देश में चुनाव कराने की मुख्य शक्ति है। जिसमें चुनाव प्रणाली को बनाए रखना, उम्मीदवारों आदि की पात्रता की जांच करना, पार्टियों को विनियमित करना और चुनाव प्रचार आदि की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना और बनाए रखना शामिल है।
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