Pariksha Pe Charcha: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम करोड़ों छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। इस कार्यक्रम ने न केवल छात्रों को परीक्षा के तनाव से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई है, बल्कि सोलापुर की एक बेटी की जिंदगी भी बदल दी है।
उसने तमाम मुश्किलों को पार करते हुए असंभव को संभव कर सफलता की कहानी लिखी है। आज के समय में साक्षी सुराना को Google पर खूब सर्च किया जा रहा है। वह इन दिनों किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद उन्होंने 12वीं की परीक्षा में टॉप किया है। पीएम मोदी से बधाई पत्र मिलने के बाद उनके हौसले को नया बल मिला है।
साक्षी को Pariksha Pe Charcha से मिली प्रेरणा
पिछले साल Sakshi Surana को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। वह माइग्रेन और कमर दर्द जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थी। जिसके कारण Solapur Girl को एक साल तक पढ़ाई से दूर रहना पड़ा। यह समय उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सही कहा था कि मंजिल वही पाता है जिसके सपनों में जान होती है, पंख किसी काम के नहीं होते, हौसले से उड़ान होती है। साक्षी सुराना ने अपनी सफलता का परचम लहराकर इन पंक्तियों को सच साबित कर दिया है। इसमें मोदी के Pariksha Pe Charcha कार्यक्रम की बड़ी भूमिका रही है। हाल ही में पूर्व हैंडल ‘मोदी आर्काइव’ की एक पोस्ट के जरिए उनकी कहानी पूरी दुनिया तक पहुंची।
साक्षी की सफलता पर PM Modi ने भेजा पत्र
‘मोदी आर्काइव’ नाम के एक्स हैंडल ने साक्षी सुराना की सफलता पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “उस मुश्किल साल में PM Modi के शब्द साक्षी सुराना के लिए सहारा बने, उन्हें याद दिलाते रहे कि अगर आप आगे बढ़ते रहें तो असफलताओं के बावजूद सफलता संभव है। दृढ़ निश्चय के साथ साक्षी ने अपनी पूरी ताकत पढ़ाई में झोंक दी। और नतीजा? उसने न केवल 12वीं की परीक्षा में अपने स्कूल में टॉप किया, बल्कि अर्थशास्त्र में भी टॉप किया, जिस विषय में उसे पहले दिक्कत होती थी।”
‘मोदी आर्काइव’ एक्स हैंडल ने वीडियो के साथ कैप्शन में आगे लिखा, “फिर एक लिफाफा आया- प्रधानमंत्री कार्यालय से एक आधिकारिक पत्र। अंदर खुद पीएम मोदी का एक निजी संदेश था, जिसमें उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए उन्हें बधाई दी गई थी और भविष्य में उनकी सफलता की कामना की गई थी। Sakshi को यकीन ही नहीं हुआ। जिन शब्दों ने कभी उन्हें प्रेरित किया था, वे अब उनकी उपलब्धि को पहचानने वाले शब्द बन गए थे। उस पल ऐसा लगा जैसे उन्होंने ‘पूरी दुनिया को पीछे छोड़ दिया’। उनके शब्दों की ताकत ने उनके लिए सब कुछ बदल दिया था। अपनी कविता की आखिरी पंक्तियों में उन्होंने लिखा, “आप जैसे नेता के कामों को हम शब्दों में कैसे बयां कर सकते हैं? यह वो पहेली है जिसे मैं कभी नहीं सुलझा सकती…”