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Cancer के लिए रेड अलर्ट है क्या फॉयल पेपर में खाना रखना, जानें एक्सपर्ट ने कैसे किया आगाह

Cancer: क्या फॉयल पेपर में रोटी पैक कर आप कैंसर को बुलावा दे रहे हैं। आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहा जो आपको हैरान कर सकता है। क्या वाकई कैंसर के लिए रिस्की है एल्युमिनियम फॉयल पेपर का इस्तेमाल।

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Photo Credit- Google Cancer

Cancer: एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल करना क्या कैंसर के रिस्क को बढ़ावा देता है। इस बारे में बात करते हुए शुभंकर मिश्रा के साथ इंटरव्यू में डॉक्टर ने कुछ ऐसा कहा जो आपको हैरान कर सकता है। क्या आप भी इस खौफ में एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल नहीं करते हैं कि यह बीमारी की वजह है। पिछले कुछ समय से फॉयल की जगह बटर पेपर का इस्तेमाल लोग धड़ले से कर रहे हैं लेकिन इसके पीछे की सच्चाई क्या है। क्यों इसका कनेक्शन कैंसर से जोड़ा जाता है जहां खाने को गर्म रखने के लिए लगातार एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन इस पर क्यों सवाल खड़े हुए हैं।

कैसे Cancer के लिए रिस्की है एल्युमिनियम फॉयल पेपर

दरअसल शुभंकर मिश्रा डॉ तरंग कृष्ण से पूछते हैं कि एल्युमिनियम के बर्तन और एल्युमिनियम फॉयल में खाना पकाने से भी कैंसर होता है। एल्युमिनियम के बर्तन में खाना ना पकने की तो सलाह दी जाती थी लेकिन एल्युमिनियम फॉयल को लेकर कैंसर का सवाल जब किया गया तब डॉक्टर ने ऐसा जवाब दिया जो शॉकिंग है डॉक्टर के मुताबिक फॉयल पेपर का इस्तेमाल मत करो क्योंकि इसी के जरिए तो आप एल्युमिनियम को अंदर ले रहे हो। जो अल्युमिनियम आप अंदर ले रहे हो वह कहीं ना कहीं आपके इम्यून सिस्टम को खराब करेगा। जब यह आपके इम्यून सिस्टम को डैमेज करेगा तो आप कैंसर की तरफ एक कदम बढ़ जाते हैं।

एल्युमिनियम फॉयल पेपर की जगह क्या करें आप

डॉक्टर की माने तो आप एल्युमिनियम फॉयल पेपर की जगह सिंपल पेपर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर बटर पेपर जैसे कोई भी चीज का इस्तेमाल करें। डब्ल्यूएचओ की स्टडी में भी कहा गया है कि अगर आपको अल्युमिनियम बरतन इस्तेमाल करना है तो कम से कम एक साल तक इस्तेमाल करें। ऐसे में एल्युमिनियम फॉयल को नजरअंदाज कर आप अपने कैंसर जैसी बीमारियों से स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख और इसमें दी गई चिकित्सीय परामर्श केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से किसी योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इस लेख में बताए गए तरीकों और दावों को केवल सुझाव माना जाना चाहिए; डीएनपी इंडिया हिंदी न तो इनकी पुष्टि करता है और न ही खंडन करता है। ऐसे किसी भी सुझाव/उपचार/दवा/आहार का पालन करने से पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह लें।

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