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क्या अन्न की बर्बादी कर भारी नुकसान को दावत दे रहे आप? Premanand Maharaj ने बता दिया सब कुछ

गुरु Premanand Maharaj ने अन्न की बर्बादी करने वालों के लिए खास संदेश जारी करते हुए अपनी बात रखी है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि कैसे अन्न की बर्बादी से लगने वाले पाप से बचा जा सकता है। आप इस खास उपदेश को सुन प्रेमानंद महाराज के तार्किक अंदाज से प्रभावित हो सकते हैं।

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Premanand Maharaj
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Premanand Maharaj: ऐसे कई सारे लोग होते हैं जिनकी आदत में अन्न की बर्बादी करना होता है। अन्न की बर्बादी का आशय उसे वैसे ही फेंकना नहीं, बल्कि थाली में लेकर नुकसान करना है। लोग खाने से ज्यादा अन्न निकालकर थाली में रख लेते हैं और फिर उसे फेंक देते हैं। ऐसी करना बड़ा पाप है और लोगों को दोष भी लगता है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि कैसे अन्न की बर्बादी लोगों के लिए समूचे नुकसान करा कारण बन सकती है। इसके साथ ही Premanand Maharaj ने ये भी बताया है कि कैसे इंसान अन्न का नुकसान करने से बच सकता है। कोई जरूरी नहीं है कि आप थाली के अन्न को बाहर ही फेंक दें। आप चाहें तो उसे जीवों को खिला सकते हैं। ऐसी स्थिति में अन्न की बर्बादी भी नहीं होगी और किसी जीव का पेट भी भरेगा।

अन्न बर्बाद करने वालों के लिए गुरु Premanand Maharaj का खास संदेश

भजनमार्ग के यूट्यूब चैनल से जारी वीडियो में प्रेमानंद महाराज अन्न की बर्बादी करने वालों को खास उपदेश देते नजर आ रहे हैं। Premanand Maharaj कहते हैं कि भोजन को बाहर रखने से बढ़िया है कि अन्य जीव-जंतु उसे खा लें। पशु खा लिए लिए तो उससे अन्न की बर्बादी नहीं होगी।Premanand Maharaj कहते हैं कि लोगों को थाली में उतना ही परोसना चाहिए जितना आप खा सको। यदि आपसे न खाया जाए तो पशु-पक्षी भी खा सकते हैं। उसमें कोई दोष नहीं लगती। आप कोशिश करें कि अपना झूठा किसी को ना खिलावें, लेकिन फेंके मत। अगर आपके जूठन से कोई अपनी भूख मिटा लेता है तो उसमें कोई अपराध की बात नहीं है।

प्रेमानंद महाराज की तार्किक बातें सुन खुल सकती हैं आंखें

गुरु प्रेमानंद ऐसी तार्किक बातें कर रहे हैं, जिसे सुन लोगों की आंखें खुल सकती हैं। सनातन संस्कृति में अन्न को देवी माना जाता है। ऐसे में अगर कोई अन्न का अपमान करता है, तो ये देवी का अपमान है। प्रेमानंद महाराज इशारों-इशारों में इन बातों को कहते नजर आ रहे हैं। Premanand Maharaj का साफ तौर पर कहना है कि लोगों को किसी भी हालत में अन्न की बर्बादी करने से बचना चाहिए और दोष मुक्त रहने की कोशिश करना चाहिए। यदि आप अन्न की बर्बादी करेंगे, तो उसका बदला आपको चुकता करना पड़ेगा और एक ऐसा दिन जाएगा जब आपको भूखा रहना पड़ेगा।

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