Premanand Maharaj: शादी-विवाह के दौरान सबसे जटिल होता जा रहा है दहेज प्रथा का विषय। आज भी कई ऐसे परिवार हैं जो अपने बेटे की शादी बगैर दहेज लिए करते हैं। लोग दूसरे परिवार की बिटिया को अपना मानकर अपना लेते हैं। वहीं कई ऐसे परिवार हैं जो धर्म रहित शादियों में दहेज की बात पर अड़कर भारी-भरकम कैश, कार या अन्य आभूषणों की डिमांड करते हैं। ऐसे लोगों के लिए गुरु प्रेमानंद महाराज ने खास उपदेश जारी किया है। प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि कैसे आज दहेज प्रथा हमारी संस्कृति और धर्म को मटिया मेट कर रही है। Premanand Maharaj ने इसके साथ ही ये भी बताया है कि दहेज प्रथा का दुष्परिणाम क्या है और कैसे अलग-अलग परिवार इस कुरीति से जूझते हुए तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करते हैं।
शादी-विवाह में दहेज की डिमांड करने वालों को Premanand Maharaj का करारा तमाचा!
भजनमार्ग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से जारी एक वीडियो क्लिप में प्रेमानंद महाराज दहेज प्रथा की भर-भरकर आलोचना करते नजर आ रहे हैं। गुरु प्रेमानंद महाराज का कहना है कि “विवाह के दौरान कन्या के पिता का जो भाव रहा, वो चांहे 1000 सोने के रथ दे या 1000 हाथी दे। मांगना या पहले ही तय करना बिल्कुल शास्त्र के खिलाफ है। ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। लड़के पक्ष को सुयोग्य दुल्हन और लड़की पक्ष को सुयोग्य वर के अलावा और किसी बात पर बात नहीं करना चाहिए।”
Premanand Maharaj आगे कहते हैं कि “दहेज प्रथा हमारे संस्कारों और धर्म को मटिया मेट कर रही है। विवाह-शादी का मतलब है कि जो पान-फूल बने वो हम आपके चरणों में समर्पित करते हैं और अपनी बेटी समर्पित करते हैं। आप आनंद से गले लगा के उनको विदा कीजिए। जब तक ये दहेज प्रथा जारी रहेगी, ये हमारे समाज पर कलंक है।” प्रेमानंद महाराज द्वारा कही गई बातें उन लोगों के लिए करारा तमाचा हैं जो शादी-विवाह के दौरान दहेज की डिमांड पर अड़े नजर आते हैं।
गुरु प्रेमानंद महाराज ने गिनाए दहेज के दुष्परिणाम
दहेज सिर्फ एक लड़की के पिता को ही नहीं, बल्कि उसके समूचे परिवार को तोड़ कर रख देता है। इसका असर ऐसा होता है कि लोग गर्भ में ही लड़कियों की हत्या करा देते हैं। Premanand Maharaj ने भी इसका जिक्र किया है और बताया है कि कैसे बेटी के जन्म पर ही बाप के ज़हन में दहेज की वो पर्ची घूमने लगती है। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि ये कुप्रथा लड़की के अस्तित्व को मिटाने वाली है जिसे कुंठित मानसिकता वाले लोग ही रफ्तार दे सकते हैं। प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि मेरे विचारों से दहेज नहीं लेना-देना चाहिए। ऐसे ही जाकर इस कुप्रथा का अंत हो सकेगा और समाज में व्याप्त इस कलंक को समाप्त किया जा सकेगा। ऐसे में आप भी सोचकर देखिएगा कि कैसे दहेज रूपी कुप्रथा हमारे समाज को कलंकित कर रही है।