सोमवार, सितम्बर 29, 2025
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Asaduddin Owaisi: ‘बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी लागू…’ Bihar Assembly Election से पहले AIMIM अध्यक्ष के दावे से मचा हड़कंप, EC ने दिया जवाब

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Asaduddin Owaisi: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले ही सियासी पारा सातवें आसमान पर है। इसी बीच इलेक्शन कमीशन के एक फरमान ने पूरे बिहार में तहलका मचा दिया है, जिसके बाद विपक्ष मौजूदा सरकार पर लगातार हमलावर नजर आ रही है। मालूम हो कि 24 जून को चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण नाम से एक आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार निर्वाचकों को एक गणना फॉर्म भरना होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक 2003 के बाद रजिस्टर्ड सभी लोगों को अपनी नागरिकता प्रमाणित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज देने होंगे। इसके बाद से ही पूरा मामला गरमा गया है, और जमकर विपक्ष पलटवार कर रही है। इसी बीच AIMIM अध्यक्ष Asaduddin Owaisi ने एक ऐसा दावा किया कि पूरे बिहार में हड़कंप मच गया। चलिए आपको बताते है पूरा मामला।

Asaduddin Owaisi के दावे से बिहार में मचा हड़कंप

चुनाव आयोग के इस ऐलान के बाद से ही विपक्ष केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर नजर आ रहा है। वहीं AIMIM अध्यक्ष Asaduddin Owaisi ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं।

ज़्यादातर सरकारी कागज़ों में भारी ग़लतियाँ होती हैं। बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे ग़रीब हैं; वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज़ होंगे, एक क्रूर मज़ाक़ है”।

Asaduddin Owaisi के बाद Congress ने उठाए सवाल

बता दें कि EC के इस फैसले के बाद Congress ने भी गंभीर सवाल उठाते हुए अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि “बिहार के लोगों के अधिकारों पर डाका डाला जा रहा है। बिहार में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले साजिशन मतदाताओं का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) किया जा रहा है। इसमें घर-घर जाकर वोटरों को सत्यापित किया जाएगा और उनसे उनकी नागरिकता साबित करने को कहा जाएगा।

ये खुले तौर से साजिश है, डाका है। ये डाका सिर्फ बिहार के वोटरों पर नहीं, उनके अधिकारों पर, उनकी पहचान पर, उनकी नागरिकता पर डाला जा रहा है। बिहार के लोगों के वजूद को खत्म करने की यह साजिश रची जा रही है”।

Tejashwi Yadav का EC पर तंज

चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की है… इसका मतलब है कि 8 करोड़ बिहारियों की मतदाता सूची को दरकिनार कर दिया गया है और एक नई सूची बनाई जाएगी। चुनाव से 2 महीने पहले ऐसा क्यों किया जा रहा है? क्या 25 दिनों के भीतर आठ करोड़ लोगों की मतदाता सूची बनाना संभव है?

मांगे गए दस्तावेज़ ऐसे हैं जो गरीबों के पास शायद ही हों, हमारा प्रतिनिधिमंडल इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से संपर्क करेगा। सीएम नीतीश कुमार और पीएम मोदी डरे हुए हैं। वे चाहते हैं कि गरीबों का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाए, वे समाज के गरीब तबके से वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हैं।” यानि यह साफ है कि EC के इस फैसले पर Asaduddin Owaisi समेत पूरा विपक्ष एक साथ है।

Asaduddin Owaisi समेत विपक्ष के आरोपों पर EC का जवाब

बता दें कि इस मामले में EC ने अपना जवाब दे दिया है, चुनाव आयोग के अनुसार उनका काम काम मतदाता सूची को हमेशा अपडेट करना है. विवाह, नौकरी के अवसर, शिक्षा, पारिवारिक जरूरतों आदि के कारण लगातार एक राज्य से दूसरे राज्य और एक जिले से दूसरे जिले या राज्यों और जिलों के भीतर पलायन होता रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि फर्जी को कैंसिल मतदाताओं को सूची से निकाला जाए।

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