Bihar Assembly Election 2025: बिहार के सियासी हल्कों में फ्री रेवड़ियों की चर्चा जोरों पर है। जहां एक ओर राजनीतिक दल इसे घोषणा पत्र में किया वादा करार दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक-दूजे पर गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं। आलम ये है कि जनता आरोप-प्रत्यारोप के इस दौर में निष्कर्ष ढूंढ़ने में लगी है। तेजस्वी यादव ने महागठबंधन का नेतृत्व करते हुए बिहार वासियों के लिए पेंशन में वृद्धि, बेरोजगारी भत्ता, हर घर नौकरी, फ्री बिजली समेत कई ऐलान किए हैं।
सूबे की सत्तारुढ़ गठबंधन एनडीए से जुड़े नेता इन ऐलानों को महागठबंधन की घबराहट बता रहे हैं। उनका कहना है कि विपक्ष की मुट्ठी से चुनावी समीकरण फिसल रहा है जिसको लेकर बौखलाहट सामने आ रही है। महागठबंधन की ओर से हुए इन ऐलानों ने कई सवालों को जन्म दिया है जिसके बारे में हम आपको बताने की कोशिश करेंगे।
क्या महागठबंधन की मुट्ठी से फिसल रहा समीकरण? – Bihar Assembly Election 2025
ये सवाल बिहार की सत्तारुढ़ गठबंधन एनडीए की ओर से उठाया जा रहा है। दरअसल, महागठबंधन में पहले सीट शेयरिंग को लेकर हुई खींचातानी और फिर कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट की खबरों ने माहौल बिगाड़ा। इसके बाद आनन-फानन में तेजस्वी यादव को सीएम फेस और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित करना मुसलमानों को तरजीह न देने का दावा बना। अंतत: अब सारी बातों पर सहमति बनी है और एक के बाद एक कई ऐलान हुआ है।
तेजस्वी यादव ने पिटारा खोलते हुए साफ किया है कि हर घर सरकारी नौकरी, योग्य युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, पेंशन में इजाफा, जीवीका दीदियों को अस्थायी करना समेत कई ऐलान कर दिए हैं। एनडीए इन तमाम ऐलानों को महागठबंधन की घबराहट के रूप में देख रहा है और महागठबंधन की मुट्ठी से चुनावी समीकरण फिसलने का दावा कर रहा है। अब अंतत: क्या होगा इसके लिए 14 नवंबर का इंतजार करना ही एकमात्र विकल्प है, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
तेजस्वी यादव के ऐलान से उठे कई गंभीर सवाल
दरअसल, राजद नेता ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार के लोगों के लिए कई प्रमुख ऐलान किए हैं। इसमें जीवीका दीदियों को स्थायी कर 30000 रुपया का वेतन देना, ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं को हर महीने बेरोजगारी भत्ता देना, अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा फॉर्म शुल्क समाप्त करना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अंतर्गत विधवा और वृद्धजनों को रुपया 1500 मासिक पेंशन देना समेत कई ऐलान हैं।
दावा किया जा रहा है कि ऐसा करने के लिए राज्य को हजारों करोड़ रुपये व्यय करने पड़ेंगे जिसे कोष पर असर पड़ेगी। यही वजह है कि एनडीए और प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव के ऐलानों का जिक्र कर महागठबंधन को सवालों के कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
