Tuesday, January 14, 2025
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Manmohan Singh: सूचना अधिनियम से लेकर अर्थव्यवस्था में उदारीकरण तक, पूर्व पीएम के 7 उत्कृष्ट फैसले जिन्होंने भारत को दी अलग पहचान; जानें पूरी डिटेल

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Arvind Kejriwal: सिख समाज से आने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार और समाधि के लिए एक हजार गज जमीन भी न दे सकी सरकार। ऐसा कहना है कि दिल्ली के पूर्व सीएम Arvind Kejriwal का। उनका कहना है कि ये खबर सुनकर मैं स्तब्ध हूं कि डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया।

Manmohan Singh: क्या पूर्व PM के सम्मान का हो रहा राजनीतिकरण? समाधि स्थल पर छिड़े संग्राम के बीच आमने-सामने हुई BJP-Congress

Manmohan Singh: सियासी गलियारों में एक समाधि स्थल निर्माण को लेकर चर्चा तेजी से छिड़ी है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन के बाद पसरे शोक के बीच समाधि स्थल को लेकर BJP-Congress आमने-सामने है।

Manmohan Singh vs Pranab Mukherjee: क्या इन कारणों से पीएम पद के लिए प्रणव मुखर्जी के बजाय Congress की पसंद बने थे मनमोहन सिंह?

Manmohan Singh vs Pranab Mukherjee: 10, जनपथ रोड और लुटियंस दिल्ली से जुड़े कई किस्से आज खंगाले जा रहे हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह उन किस्सों का केन्द्र हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के दुखद निधन के बाद देश में शोक की लहर है। इसी बीच देश की जनता दिवंगत नेता मनमोहन सिंह से जुड़े कई किस्से जानने और पढ़ने को आतुर है।

Manmohan Singh: बहुत ही शांत इंसान लेकिन अपने कार्य में माहिर, जी हां हम बात कर रहे है, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जो अब इस दुनिया में नहीं रहें। बता दें कि आज मनमोहन सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। मालूम हो कि सन 2004 से लेकर 2014 तक Manmohan Singh पीएम पद पर कार्यरत रहें। इस दौरान उन्होंने कई अहम फैसले किए जिसमे अर्थव्यवस्था, सूचना अधिनियम समेत कई अन्य फैसले शामिल थे। चलिए आपको बताते है पूर्व पीएम के कुछ अहम फैसले जिसने भारत की रचना में विशेष योगदान निभाया।

Manmohan Singh ने की थी सूचना अधिनियम की पेशकश

मालूम हो कि सूचना का अधिकार अधिनियम को साल 2005 में लागू किया था। गौरतलब है कि उस दौरान कांग्रेस की सरकार थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री Manmohan Singh थे। इस कानून के तहत भारत का कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है, और सरकार विभाग द्वारा उस व्यक्ति को जानकारी देना अनिवार्य है।

नरेगा के तहत ग्रामीण लोगों को मिला रोजगार

पूर्व पीएम Manmohan Singh ने गरीबी बहुत करीब से देखा था, यही वजह है कि नरेगा यानि महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी अधिनियम को फरवरी साल 2006 में लागू किया गया था, इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार प्रदान करना था। मालूम हो कि ग्रामीण इलाकों में लोग ज्यादातर खेती पर निर्भर रहते थे, जिसके कारण उन्हें काफी दिक्कत आती थी। इन्हींं सब को ध्यान में रखते हुए इस अधिनियम को लागू किया था। जिसके बाद ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को रोजगार मिलने लगा।

शिक्षा के क्षेत्र में Manmohan Singh का अहम योगदान

आपको बता दें कि Manmohan Singh द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम की पेशकश साल 2009 में किया गया था, और यह साल 2010 में यह लागू हो गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य बाल शिक्षा को बढ़ावा देना था। इसके तहत 6 साल से लेकर 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती थी, ताकि गरीब, किसान परिवार के लोगों अपने बच्चों को पढ़ा सकें।

क्या था भूमि अधिग्रहण अधिनियम?

साल 2013 में Manmohan Singh सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम को लागू किया था। बता दें कि इस कानून की मुख्य उद्देश्य जिनकी जमीन ली जाती है, उन्हें समय पर और सही मुआवजा प्रदान करना था, इसके अलावा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और प्रभावित लोगों को विकास में शामिल करने का प्रावधान है। साथ ही 1 साल के अंदर लाभार्थियों को मुआवजा की रकम देना अनिवार्य होता है।

भोजन अधिकार अधिनियम के तहत कई करोड़ लोगों को मिला खाना

मनमोहन सिंह सरकार ने इस कानून को साल 2013 में लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब परिवार को 2 वक्त की रोटी प्रदान करना था। इस अधिनियम के तहत 2 रूपये किलों गेहूं और 3 रूपये प्रति किलो चावल प्रदान किया जाता है। सके अलावा, समाज के सबसे गरीब परिवारों को हर महीने अंत्‍योदय अन्‍न योजना के तहत सब्सिडी दरों पर चावल, गेहूं, और मोटा अनाज मिलता है।

Manmohan Singh ने भारत-अमेरिका के बीच किया था परमाणु समझौता

गौरतलब है कि उस वक्त के तत्कालीन प्रधानमंत्री Manmohan Singh ने अमेरिका के साथ मिलकर परमाणु समझौता किया था। बता दें कि यह भारतीय इतिहास में ऊर्जा सुरक्षा और कूटनीतिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। इसे पूरा होने में पूरे 3 साल लग गए। भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता साल 2008 में हुआ।

वन अधिकार कानून के तहत Manmohan Singh ने दिलाया परंपरागत वनवासियों का अधिकार

Manmohan Singh सिंह की सरकार ने 2006 में वन अधिकार कानून किया था। इसका मुख्य उद्देश्य इस कानून के तहत भारत में रह रहे अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासियों को वन अधिकार दिया गया है। जिसमे पट्टों का बदलाव का अधिकार, बंदोबस्त का अधिकार समेत अन्य कानून शामिल है। मालूम हो कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासियों कई बार जंगलों पर निर्भर रहते है। इन सभी को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया।

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