रविवार, दिसम्बर 7, 2025
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Omar Abdullah: ‘हम लाइफ सपोर्ट पर..’ क्या टूट की कगार पर इंडिया गठबंधन? जम्मू कश्मीर के सीएम उमर के बयान से गरमाई सियासत? जानें सबकुछ

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Omar Abdullah: बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन की करारी हार के बाद अब इंडिया गठबंधन में दरार देखने को मिल रहा है। इसी बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इंडिया गठबंधन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि कैसे गठबंधन लाइफ सपोर्ट पर है। जिसके बाद पूरी तरह से सियासत गरमा गई है। गौरतलब है कि जब से गठबंधन शुरू हुआ है। लोकसभा के बाद लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। बीच-बीच में गठबंधन पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है। वहीं अब कयासो का दौर भी शुरू हो चुका है और सवाल उठ रहा है कि किया इंडिया गठबंधन टूटने की कगार पर है।

क्या टूट की कगार पर इंडिया गठबंधन – Omar Abdullah

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि “विपक्षी भारतीय गुट इस समय जीवन रक्षक प्रणाली पर है और अंदरूनी कलह तथा भाजपा की चौबीसों घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में विफलता के कारण उसके आईसीयू में जाने का खतरा है”। जिसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन टूट की कगार पर है। बिहार चुनाव में करारी हार के बाद गठबंधन के बीच कलह देखने को मिल रहा है। साथ ही लगातार बदलाव की मांग भी उठ रही है। जिसके बाद सियासत और गरमा गई है। वहीं अब शिवसेना(यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसपर अपनी कड़ी प्रितिक्रिया दी है।

शिवसेना(यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी का इंडिया गठंबधन पर तंज

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के ‘भारत ब्लॉक जीवन रक्षक प्रणाली पर’ वाले बयान पर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि, “उमर अब्दुल्ला अपनी राजनीति में हमेशा से बहुत स्पष्ट रहे हैं। वह अपनी सोच को लेकर स्पष्ट हैं और उसे खुलकर व्यक्त भी करते हैं। जहाँ तक भारत गठबंधन की बात है, बिहार चुनाव से पहले भी उद्धव ठाकरे ने कहा था कि एक बैठक ज़रूरी है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद, पूरे गठबंधन की कोई बड़ी बैठक नहीं हुई है। इसलिए चाहे बिहार हो या कश्मीर, ये चिंताएँ अलग-अलग जगहों से उठ रही हैं।

किसी न किसी स्तर पर, भारत गठबंधन के सभी दलों – खासकर इसका नेतृत्व करने वालों, और चूँकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है जिसने ज़िम्मेदारी ली है – को पुनर्विचार करना होगा, नए सिरे से काम करना होगा, नई ऊर्जा भरनी होगी, फिर से संगठित होना होगा और यह पता लगाना होगा कि कैसे फिर से एक साथ आया जाए, ठीक वैसे ही जैसे हमने लोकसभा चुनावों के दौरान गति बनाई थी और उसे राज्य चुनावों में भी जारी रखा।”

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