Rajiv Pratap Rudy: बीते दिन कांस्टीट्यूशनल क्लब चुनाव हुआ था, जिसमे एक बार फिर छपरा(सारण) से बीजेपी सांसद Rajiv Pratap Rudy ने बाजी मार ली है। हालांकि बाकि कांस्टीट्यूशनल क्लब चुनावों से यह चुनाव काफी अलग था, क्योंकि इस बार राजीव प्रताप रूड़ी के सामने बीजेपी के ही पूर्व सांसद संजीव बालियान ही थी, हालांकि वह चुनाव हार गए। इस बार 700 से ज्यादा सदस्यों ने वोटिंग की, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कई दिग्गज नेता मतदान में शामिल हुए। जिसने चुनाव को और रोमांचक बना दिया।
रूडी को 392 वोट मिले जबकि बालियान को 290 वोट मिले थे। हालांकि चुनाव के बाद जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह ये कि क्या बीजेपी में मतभेद हो गया है। क्योंकि कई सालों बाद यह पहली बार था कि राजीव प्रताप रूडी के सामने चुनावी मैदान में उनके ही पार्टी के नेता उतर थे। जिसके बाद कई तरह के कयास लग रहे है।
क्या बिहार चुनाव से पहले बीजेपी में मतभेद
गौरतलब है कि कांस्टीट्यूशनल क्लब चुनाव बीजेपी बनाम बीजेपी की टक्कर देखने को मिली। गौरतलब है कि Rajiv Pratap Rudy ने 25 साल की अपना दबदबा बरकरार रखा। चुनाव के बाद अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर ऐसी क्यो जरूरत पड़ गई कि इस चुनाव में बीजेपी बनाम बीजेपी हो गया। वरिष्ठ पत्रकार Rajdeep Sardesai ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि “एक और चुनावी आश्चर्य: भाजपा सांसद RajivPratapRudy ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव (प्रशासन) पद के चुनाव में अपने ही भाजपा नेता संजीव बालियान को हरा दिया।
रूडी 20 साल से ज़्यादा समय से इस पद पर हैं, लेकिन बालियान को सत्ताधारी पार्टी के ताकतवर सांसदों और कद्दावर मंत्री का समर्थन हासिल था, जिन्हें हारना पसंद नहीं। दिलचस्प बात यह है कि कई विपक्षी नेताओं ने रूडी के पक्ष में वोट देकर जीत का सेहरा अपने सिर पर बांधा। (मतदाता सूची में छेड़छाड़ का कोई आरोप भी नहीं”)
Rajiv Pratap Rudy के जीत से विपक्ष क्यों हुआ खुश
सूत्रों के मुताबिक अमित शाह के कहने पर संजीव बलियान कांस्टीट्यूशनल क्लब चुनाव लड़ने के लिए Rajiv Pratap Rudy के खिलाफ उतरे थे। वहीं विपक्ष ने इस चुनाव में जोर शोर से हिस्सा लिया, यहां तक कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित विपक्ष के कई दिग्गज नेता मतदान में शामिल हुए। यही कारण है कि बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं ने राजीव प्रताप रूडी को वोट दिया। विपक्ष को यह लग रहा है कि बीजेपी बनाम बीजेपी के कारण पार्टी में मतभेद हो सकता है, यही कारण है, जिस चुनाव में कभी विपक्ष वोट नहीं देती थी, और बीजेपी एकतरफा चुनाव जीतते थे, लेकिन इस बार विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।