Tej Pratap Yadav: बगैर किसी लाग-लपेट साफ शब्दों में अपनी बात रखने वाले लालू यादव के बड़े सुपुत्र ने बड़ा कदम उठाया है। पटना से महुआ की ओर रवाना हो रहे तेज प्रताप यादव की गाड़ी पर राजद का झंडा बदला नजर आया। इस कदम को बगावत का बिगुल माना जा रहा है। जहां एक ओर लालू यादव के के निर्देशानुसार तेजस्वी यादव महागठबंधन का नेतृत्व कर तमाम विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने में जुटे हैं। वहीं Tej Pratap Yadav की ये अदा बगावती तेवर के रूप में देखी जा रही है। अपनी गाड़ी पर लगा RJD का झंडा बदलने वाले तेज प्रताप यादव क्या दल बदलकर भाई तेजस्वी यादव को सीधी चुनौती दे सकते हैं? क्या आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में तेज प्रताप की राह अलग होगी? ऐसे तमाम सवाल हैं जो तेज प्रताप के इस कदम के बाद उठ रहे हैं।
बदल गया Tej Pratap Yadav की गाड़ी पर लगा पार्टी का झंडा!
पटना से महुआ के लिए रवाना हुए तेज प्रताप यादव की गाड़ी पर लगा पार्टी का झंडा बदल गया है। इसे आम तौर पर बगावती तेवर के रूप में देखा जा रहा है। मालूम हो कि RJD का झंडा हरे रंग का होता है जिस पर चुनाव चिन्ह लालटेन और लालू यादव की तस्वीर होती है। हालांकि, तेज प्रताप यादव की गाड़ी पर लगा पार्टी का झंडा हरे रंग के अलग था। उस पर लालटेन की तस्वीर तो थी, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव की तस्वीर गायब थी। Tej Pratap Yadav के इस कदम को बगावत का बिगुल फूंकने की संज्ञा दी जा रही है। हालांकि, नए झंडे पर भी लालटेन चिन्ह का होना और राष्ट्रीय जनता दल लिखा होना इस दावे को कमजोर कर रहा है।
क्या दल बदलकर भाई तेजस्वी को सीधी चुनौती दे सकते हैं तेज प्रताप यादव?
बिहार में महागठबंधन की कमान सीधे तौर पर लालू यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव के हाथों में है। अनुष्का यादव प्रकरण के कारण तेज प्रताप को ना सिर्फ दल से, बल्कि परिवार से भी निष्कासित कर दिया गया था। हालांकि, बावजूद इसके Tej Pratap Yadav समय-समय पर पार्टी के प्रति अपनी वफादारी दर्शा चुके हैं। उन्होंने साफ तौर पर उन तमाम लोगों को फटकार लगाई थी जो तेज प्रताप के बगावत करने या दूसरे दल में जाने की अफवाह फैला रहे थे। तेज प्रताप यादव ने साफ तौर पर कहा है कि वो अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए काम करेंगे। ऐसे में अब तक के घटनाक्रमों की बात करें तो Tej Pratap Yadav कहीं से भी अपने भाई तेजस्वी को चुनौती नहीं देते नजर आ रहे हैं। अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेती है।