Shashi Tharoor: कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के लिए लगातार चुनौती बन रहे सांसद शशि थरूर ने एक और बड़ी सधी चाल चल दी है। शशि थरूर ने आपातकाल की 50वीं बरसी को लेकर एक लेख लिखा है। कांग्रेस सांसद ने इस लेख में इंदिरा गांधी द्वारा घोषित किए गए आपातकाल को काला अध्याय बताया है। इतना ही नहीं Shashi Tharoor ने ‘इमरजेंसी 1975’ के दौरान चले नसबंदी अभियान को मनमाना और क्रूर बताया है। थरूर की ये बातें देश की सत्तारुढ़ दल बीजेपी से मिलती-जुलती हैं। BJP भी आपातकाल को लोकतंत्र के लिए काला अध्याय और जनहित के लिए दमनकारी नीति बता चुकी है। ऐसे में अब शशि थरूर का आपातकाल का जिक्र कर बीजेपी के सुर में सुर मिलाना राहुल गांधी को चुनौती देने के बराबर माना जा रहा है। कांग्रेस सांसद के लेख ने सियासी सरगर्मी बढ़ दी है और कई तरह के सवाल उठे हैं।
इमरजेंसी की मुखालिफत कर Shashi Tharoor ने BJP की सुर में मिलाए सुर!
अपने नए लेख के माध्यम से चर्चित सांसद शशि थरूर ने आपातकाल की मुखालिफत की है। थरूर ने मलयालम भाषा के अखबार ‘दीपिका’ में लिखा कि “इमरजेंसी को सिर्फ भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में ही नहीं याद किया जाना चाहिए, बल्कि इससे सबक लेना भी जरूरी है। उस दौरान नसबंदी मनमाने तरीके से हुई थी जो कि क्रूर फैसला था।” Shashi Tharoor आगे लिखते हैं कि नसबंदी का टार्गेट पूरा करने के लिए हिंसा और दबाव का सहारा लिया गया था जो कि क्रूरता को दर्शाता है। लोकतंत्र के संरक्षकों को सतर्क रहना होगा कि दोबारा ऐसी नौबत ना आए।” Shashi Tharoor की ये बातें हुबहू बीजेपी से मिलती-जुलती हैं। बीजेपी भी आपातकाल को दमनकारी फैसला बताकर इंदिरा सरकार की मुखालिफत कर चुकी है। यही वजह है कि शशि थरूर के विचारों को मिलता-जुलता देख कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को शशि थरूर की सीधी चुनौती!
ये पहली मर्तवा नहीं है जब शशि थरूर पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं। इससे पूर्व भी थरूर ने पीएम मोदी की ऊर्जा, वैश्विक सक्रियता और संवाद क्षमता को भारत की बड़ी ताकत बताया था। खास बात है कि राहुल गांधी इन्हीं मोर्चे पर पीएम मोदी और बीजेपी को घेरने का काम करते हैं। यही वजह है कि जब Shashi Tharoor ने आपातकाल की आलोचना की है, तो इसे राहुल गांधी के लिए चुनौती बताया जा रहा है। राहुल गांधी भी आपातकाल को इंदिरा सरकार की गलती मान चुके हैं।
बावजूद इसके गांधी परिवार से जुड़ाव के नाते सत्तारुढ़ दल उन पर हमलावर रहती है और संविधान का गला घोटने का आरोप लगाया जाता है। यही वजह है कि शशि थरूर द्वारा आपातकाल की आलोचना नेता प्रतिपक्ष को सीधी चुनौती माना जा रहा है। सियासी गलियारों में कांग्रेस सांसद के लेख की चर्चा तेज है और सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है।