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Khaleda Zia: कई दशकों तक खालिदा जिया, शेख हसीना के इर्द-गिर्द घूमती रही बांग्लादेश की सियासत! BNP नेत्री के निधन के बाद आगे क्या?

एक दौर में Khaleda Zia और शेख हसीना के इर्द-गिर्द बांग्लादेश की सियासत घूमती रही थी। हालांकि, अब बीएनपी लीडर की मृत्यु के बाद मुल्क की स्थिति बदल गई है और समीकरण को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

Khaleda Zia
Picture Credit: गूगल (खालिदा जिया & शेख हसीना - सांकेतिक तस्वीर)

Khaleda Zia: अतीत के पन्ने पलटने पर कई सुनहरी तो कई ऐसी यादें भी आंखों के सामने आ जाती हैं जो इंसान को झकझोर कर रख देती हैं। आजा जब पूर्व बांग्लादेशी पीएम खालिदा जिया सुपुर्द-ए-खाक हो रही हैं, तब उनकी सियासी सफर खूब चर्चाओं में है। बांग्लादेश में 1980 का दशक भारी उठा-पटक का गवाह रहा जब खालिदा जिया अपने पति जियाउर रहमान (पूर्व राष्ट्रपति) की हत्या के बाद राजनीति में सक्रिय हुई थीं।

उसी दौर में शेख हसीना का उदय भी हुआ जो 1975 में पिता शेख मुजीबुर्रहमान अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद विदेश से लौटकर बांग्लादेश में सियासी संभावनाएं तलाशने में जुटीं। उसके बाद 3 दशकों तक बांग्लादेश की सियासत खालिदा जिया और शेख हसीना के इर्द-गिर्द घूमती रही जिसके बारे में हम आपको बताएंगे। साथ ही ये भी बताने की कोशिश करेंगे कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेत्री खालिदा जिया के निधन के बाद आगे क्या समीकरण बन सकता है।

कई दशकों तक खालिदा जिया, शेख हसीना के इर्द-गिर्द घूमती रही बांग्लादेश की सियासत!

लगभग तीन दशकों से ज्यादा समय तक बांग्लादेश की सियासत शेख हसीना और दिवंगत नेत्री खालिदा जिया का इर्द-गिर्द घूमती रही थी। 1980 के दशक को याद करें तो खालिदा जिया और शेख हसीना दोनों का राजनीतिक उदय नजर आएगा। उस दौर में खालिदा अपनी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और शेख हसीना आवामी लीग को लेकर बांग्लादेश के सियासी मैदान में उतरती हैं। दोनों एक-दूसरे की प्रतिद्वंदी थीं। 1991 में खालिदा जिया अपने प्रतिद्वंदी शेख हसीना को मात देकर मुल्क की प्रधानमंत्री बनने में कामयाब रहीं।

इसके बाद शेख हसीना का दौर आया और 1996 में आवामी लीग की जीत हुई जिसके बाद शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी पहली बार मुल्क की पीएम बनी। फिर समीकरण बदले और 2001 से 2006 तक खालिदा जिया बांग्लादेश की पीएम रहीं। इसके बाद का समय शेख हसीना का था जो 2009 से जुलाई 2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। ये पूरा समय करीब 34 साल यानी तीन दशक से ज्यादा का हुआ जब बांग्लादेश की सियासत खालिदा जिया और शेख हसीना के इर्द-गिर्द घूमी थी।

BNP नेत्री Khaleda Zia के निधन के बाद आगे क्या?

इस सवाल का पुख्ता जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है। हां ये जरूर है कि अब बांग्लादेश का सियासी समीकरण बदल जाएगा। जो खालिदा जिया कभी मजबूती से बांग्लादेश के आवाम के बीच हुंकार भरती थीं अब वो आवाज थम चुकी हैं। बीएनपी की कमान खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान के हाथों में है। आशंका इस बात की भी व्यक्त की जा रही है कि पूर्व पीएम के निधन के बाद बीएनपी के भीतर नेतृत्व के प्रति असंतोष के भाव न प्रकट होने लगें। अब देखना दिलचस्प होगा कि बांग्लादेश में आगे क्या कुछ होता है।

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