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Donald Trump: ‘भारत रूस से तेल नहीं…’ क्या अमेरिकी राष्ट्रपति के दांवे से पीएम मोदी-पुतिन में आएगी दरार! समझे इसके मायने

Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक बार फिर भारत को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे दुनिया में सनसनी मच गई है।

Donald Trump
Donald Trump - फाइल फोटो

Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक बार फिर भारत को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे सनसनी मच गई है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर आपत्ति जताते रहते है। इसी बीच ट्रंप के एक बयान ने कुछ सवाल खड़े कर दिए है। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक पर एएनआई के सवाल का जवाब देते हुए कुछ ऐसा कहा, जिससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है। वहीं अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या ट्रंप के इस बयान से पीएम मोदी-पुतिन में दरार आएगी। आइए समझते है इससे जुड़ी सभी अहम जानकारी।

Donald Trump के बयान से हड़कंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बैठक पर एएनआई के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि “अमेरिकी राजदूत-पदनाम सर्जियो गोर और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच बैठक पर एएनआई के सवाल का जवाब देते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, “मुझे लगता है कि वे बहुत अच्छे थे। मोदी एक महान व्यक्ति हैं। उन्होंने (सर्जियो गोर) मुझे बताया कि वह (पीएम मोदी) ट्रम्प से प्यार करते हैं।

मैंने वर्षों से भारत को देखा है। यह एक अविश्वसनीय देश है और हर एक साल आपके पास एक नया नेता होता है। कुछ लोग कुछ महीनों के लिए वहां होंगे और यह साल दर साल होता रहा और मेरे दोस्त अब लंबे समय से वहां हैं और उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि रूस से कोई तेल खरीद नहीं होगी। वह रूस से अपना तेल नहीं खरीद रहे हैं। वह इसे तुरंत नहीं कर सकते। यह थोड़ी प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी होने वाली है”।

क्या पीएम मोदी-पुतिन के रिश्तों में आएगी दरार?

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान पर भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “भारत तेल और गैस का एक महत्वपूर्ण आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं।

स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार बनाना और बाज़ार की स्थितियों के अनुरूप विविधीकरण करना शामिल है। जहाँ तक अमेरिका का प्रश्न है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं”। हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में रिश्तें किस और करवट लेते है।

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