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Khoda Baksh Chowdhury का इस्तीफा और तारिक रहमान की धमाकेदार वापसी! क्या डोलने लगा यूनुस का सिंघासन? उथल-पुथल के बीच उठे सवाल

अंतरिम सरकार के करीबी अफसर रहे Khoda Baksh Chowdhury के इस्तीफे और पूर्व पीएम खालिद जिया के बेटे तारिक रहमान की धमाकेदार वतन वापसी मोहम्मद यूनुस की नींद उड़ा सकती है। सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यूनुस का सिंघासन तो नहीं डोल रहा है।

Khoda Baksh Chowdhury
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Khoda Baksh Chowdhury: बांग्लादेश में सियासी उथल-पुथल के बीच अंतरिम सरकार को बड़ा झटका लगा है। मोहम्मद यूनुस के करीबी माने जाने वाले खुदा बख्श चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है। खुदा बख्श चौधरी मोहम्मद यूनुस के खासमखास और गृह मंत्रालय के विशेष सहायक थे। उनके इस्तीफा और पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री खालिद जिया के बेटे तारिक रहमान की वतन वापसी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

एक और जहां बांग्लादेश राजधानी ढ़ाका से सिलहट, राजशाही तक हिंसा की चपेट में है। ऐसे दौर में सरकार के करीबी अफसर का इस्तीफा क्यों हुआ है। क्या मोहम्मद यूनुस का सिंघासन डोलने लगा है? तारिक रहमान की वापसी और अन्य समीकरण को मद्देनजर रखते हुए ये सवाल उठ रहे हैं।

यूनुस के करीबी अफसर Khoda Baksh Chowdhury का इस्तीफा!

बांग्लादेश में सियासी तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस के खासमखास और गृह मंत्रालय के विशेष सहायक खुदा बख्श चौधरी ने अहम भूमिका निभाई थी। अंतरिम सरकार के हर फैसले में इस अफसर की राय जरूर शामिल थी। यही वजह है कि मुल्क में उथल-पुथल के बीच खुदा बख्श चौधरी का इस्तीफा सुर्खियों में है।

जहां एक ओर मुल्क में हिंसा और अशांति चरम पर है, हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या हुई है, उस्मान हादी को मारा गया और हिंसा की आग में सुलग रही है। ऐसी स्थिति में खुदा बख्श चौधरी का इस्तीफा यूनुस सरकार की काननू व्यवस्था पर सवाल उठाता है। जब गृह मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे इस अफसर की मुल्क को सबसे ज्यादा जरूरत है, तभी इसका इस्तीफा होता है जो संवालों के अंबार खड़े कर रहा है।

क्या डोलने लगा मोहम्मद यूनुस का सिंघासन?

ढ़ाका में सियासी तापमान बढ़ चुका है। एक ओर प्रतिबंधित आवामी लीग के कार्यकर्ता हैं, तो दूसरी ओर पूर्व पीएम खालिद जिया के बेटे तारिक रहमान भी यूनुस की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। शेख हसीना लगातार बयान जारी कर अंतरिम सरकार की आलोचना कर रही हैं। इसी बीच आज तारिक रहमान 17 सालों को पुनर्वास के बाद ढ़ाका पहुंचकर एक बड़ी राजनीतिक रैली को संबोधित कर रहे हैं।

12 फरवरी को होने वाले आम चुनाव से पहले बांग्लादेश में सियासी उठा-पटक और हिंसा का दौर भी जारी है। ये समीकरण कई संभावनाओं की ओर इशारा कर रहे हैं। इसी को लेकर पूछा जा रहा है कि कहीं मोहम्मद यूनुस का सिंघासन अभी से तो नहीं डोलने लगा है। अंतरिम सरकार में अंदरखाने मची खलबली के बीच ये सवाल तेजी से उठ रहे हैं।

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