Pak-Afghan Talks: युद्धविराम के बाद वार्ता के लिए तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पाकिस्तानी और अफगानी प्रतिनिधि पहुंच गए हैं। इस दौरान तुर्की मध्यस्थता की भूमिका में है। खबरों की मानें तो इस्तांबुल की धरती पर पाकिस्तानी प्रतिनिधि मिमियाने लगे हैं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा है कि हम दूसरे दौर की वार्ता में उसी मकसद और इरादे के साथ भाग ले रहे हैं, जिसके साथ हमने दोहा में भाग लिया था। इरादा साफ है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने को इच्छुक है। ये साफ तौर पर मुनीर सेना के ढ़ीले पड़ रहे रवैये को दर्शाता है। वहीं अफगानियों का साफ कहना है कि यदि युद्धविराम समझौता टूटा, तो पाकिस्तान को इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इस्तांबुल में तालिबानियों के सामने मिमियाने लगा पाकिस्तान – Pak-Afghan Talks
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मध्य शांति वार्ता के लिए तुर्की की राजधानी इस्तांबुल को चुना गया है। इस्तांबुल में ही पाकिस्तानी प्रतिनिधि लगभग मिमियाते नजर आए। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय से जुड़े ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा है उनका मुल्क तुर्की द्वारा आयोजित बैठक में एक ठोस निगरानी तंत्र की स्थापना चाहता है, ताकि अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान की ओर आने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटा जा सके। ये साफ तौर पर पाकिस्तान के नरम रुख को दर्शाता है। जो कल तक मरने-मारने की बात कर रहे थे। उनके लिए आज शांति रास्ता चुनना उनकी मजबूरी को साफ तौर पर दर्शाता है।
तालिबानियों ने निकाली मुनीर सेना की निकली हेकड़ी!
सख्त रुख के साथ मुनीर सेना को धूल चटाने वाले तालिबानियों ने मुनीर सेना की हेकड़ी निकाल दी है। डूरंड रेखा पर हुए खूनी संघर्ष के दौरान अफगानी हुकूमत की ओर से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया था। इस दौरान 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई थी। पाकिस्तान का रुख यहीं नरम होता नजर आया। पड़ोसी मुल्क ने दबी आवाज में युद्ध विराम समझौते को स्वीकार करते हुए सधी चाल चली। आगे भी दोहा से लेकर इंस्ताबुल तक मुनीर सेना का रुख बिल्कुल नरम नजर आया है। ये साफ तौर पर तालिबानियों के सामने मुनीर सेना की हेकड़ी निकलने का संकेत है।






