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Hyperloop train: आश्चर्यजनक! महज 25 से 30 मिनटों में Delhi से Jaipur के बीच सफर होगा पूरा; जानें क्या है रेलवे की खास तैयारी

Hyperloop train: भारतीय रेलवे आईआईटी मद्रास, एलएंटी कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर Hyperloop train चलाने पर विचार कर रही है। जिससे कई घंटो का सफर महज कुछ मिनटों में पूरा किया जा सकेगा।

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Hyperloop train
फाइल फोटो प्रतीकात्मक

Hyperloop train: बुलेट ट्रेन के बाद अब भारतीय रेलवे आईआईटी मद्रास, एलएंटी कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर Hyperloop train चलाने पर विचार कर रही है। बता दें कि भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक तैयार है, आईआईटी मद्रास, चेन्नई में स्थित, 422 मीटर लंबा हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक एक अत्याधुनिक सुविधा है जो एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जो भारतीय रेलवे और आईआईटी मद्रास के बीच एक महत्वपूर्ण साझेदारी का प्रतीक है। माना जा रहा है कि हाइपरलूप ट्रेन चलने के बाद दिल्ली से जयपुर की दूरी महज 30 मिनटों में पूरी हो जाएगी।

महज 25 से 30 मिनटों में Delhi से Jaipur के बीच सफर होगा पूरा

गौरतलब है कि Hyperloop train का मुख्य उद्देश्य दो राज्यों के बीच दूरी कम करना का है, जो भारत की हाई स्पीड ट्रेनों और हवाई जहाज को टक्कर देगा, साथ ही भविष्य में भारत के विकास में यह बेहद अहम भूमिका निभाने वाला है। जानकारी के मुताबिक यह ट्रेन 1200 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है। जानकारी के मुताबिक ‘हाइपरलूप में एक खास पॉड होता है, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरीके से हवा में चलता है। बता दें कि हाइपलूप तकनीक लगभग 350 किलोमीटर का सफर महज 25 से 30 मिनटों में पूरा हो सकेगा। बता दें कि अभी दिल्ली से जयपुर सफर करने में करीब 4.30 घंटे लगते है। इसके अलावा कई अन्य राज्यों पर भी इसे चलाने की योजना बनाई जा रही है, हालांकि इसपर थोड़ा समय लग सकता है।

रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw ने दी जानकारी

बता दें कि बीते दिन यानि 25 फरवरी को रेल मंत्री Ashwini Vaishnaw ने इसे लेकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि “422 मीटर का पहला पॉड वास्तव में उस तकनीक को विकसित करने में बहुत मदद करेगा जो मुझे लगता है कि 1 मिलियन डॉलर के दो अनुदानों के बाद आया है।

हाइपरलूप प्रोजेक्ट को और विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास को तीसरा अनुदान दिया गया है, एक बार जब हम वाणिज्यिक या पूर्व-व्यावसायिक देखते हैं जहां रेलवे सेटअप के भीतर उत्पाद तैयार होता है, तो हम पहला वाणिज्यिक प्रोजेक्ट शुरू करेंगे, हम एक साइट तय करेंगे जिसका उपयोग 40 से 50 किमी तक के व्यावसायिक परिवहन के लिए किया जा सकता है”।

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