शुक्रवार, मई 17, 2024
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Bengal Panchayat Polls: सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग को दी नसीहत, पंचायत चुनाव से पहले केंद्रीय बलों की होगी तैनाती

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Bengal Panchayat Polls: जब भी कोई चुनाव नजदीक आता है, तो क्या पक्ष और क्या विपक्ष सभी चुनावी मैदान में कूद जाते है, जो कि देखा जाए तो सही भी है। लेकिन अगर चुनावी मैदान वाक युद्ध से हिंसा और गाली-गलौज (अपशब्द) बोलने पर आमादा हो जाए तो यह कहीं से भी सही नहीं है। बस इसी तर्ज पर भारत का पश्चिम बंगाल राज्य हमेशा अपने चुनावी हिंसा के लिए जाना जाता है। यहां जब भी कोई चुनाव नजदीक आता है, तब दोनों पक्षों में टकराव होना शुरू हो जाता है। कभी-कभी तो हिंसा इतना उग्र हो जाता है कि दर्जन भर लोगों के  मौत की खबरें सामने आने लगती है। आपने अक्सर ऐसी न्यूज़ टेलीविजन या अख़बारों में पढ़ी होंगी। ऐसे में बंगाल में पंचायत चुनाव (जुलाई) में होने है। बस इसी वजह से कही एक और बड़ी हिंसा न हो जाए  उसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार (ममता दीदी ) और राज्य चुनाव आयोग को कड़ा सन्देश दिया है। 

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

बता दें कि कोर्ट ने कहा, ”हमने 2013 और 2018 के चुनाव में हुए हिंसा को देखा है। बंगाल के चुनावी माहौल में अक्सर हिंसा होती है इसका तो यह पुराना इतिहास है। कभी भी हिंसा के माहौल मे चुनाव नहीं कराया जा सकता, बल्कि चुनाव हमेशा निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए। अगर देश के लोगों को इस बात की भी आजादी नहीं है कि वो अपना नामांकन पत्र दाखिल कर पाएं, साथ ही उनकी हत्या हो रही है तो फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की बात का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए अब वहां केंद्रीय बलों की तैनाती की जाएगी। 

वही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा कि आपने अब तक क्या किया है, कोर्ट ने कहा क्या राज्य चुनाव आयोग सिर्फ जरूरत का आकलन कर सुरक्षा बल की जरूरत की जानकारी राज्य सरकारों को देती है और राज्य सरकार सुरक्षा बल मुहैया कराती है?

कोर्ट में क्या बहस हुई ?

दरअसल सारा मामला सुवेंदु अधिकारी से जुड़ा है। उन्होंने ही हिंसा को लेकर केस फाइल किया था। याचिकाकर्ता की ओर से केस लड़ रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, “अगर राज्य सरकार यह मानकर चल रही है कि केंद्रीय सुरक्षा बल  बल ‘कोई आक्रमणकारी सेना’ है तो इस तरह की सोच का कुछ नहीं हो सकता।

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DNP न्यूज़ डेस्क
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