Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का लगातार दिलचस्प होता जा रहा है। एक तरफ एनडीए का प्रमुख घटक दल भाजपा, नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। वहीं, तेजस्वी यादव,मुकेश सहनी और प्रशांत किशोर जैसे युवा नेताओं ने उन पर सवालों की बौछार कर दी है। इन सबके बीच, सबकी निगाहें महागठबंधन पर टिकी हैं। इसकी वजह इंडिया अलांयस में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान है।
इस मामले में नीतीश कुमार बाजीगर बनकर उभरे हैं। उनके एनडीए में टिकट बंटवारे को अंतिम रूप दिया जा चुका है। वैसे यहाँ भी कुछ उथल-पुथल हुई, लेकिन एनडीए के शीर्ष नेतृत्व ने समय रहते स्थिति को संभाल लिया। इसके बाद, एनडीए के कई उम्मीदवारों ने विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इस बीच, महागठबंधन अभी भी सीट बंटवारे को लेकर उलझा हुआ है और अंदरूनी कलह के संकेत मिल रहे हैं। हालाँकि, इस विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार एक बड़ी ताकत के रूप में उभरे हुए दिखाई दे रहे हैं। आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
Bihar Elections 2025: नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग के आगे सब फेल
आपको बता दें कि बिहार विधानसभा इलेक्शन 2025 के लिए नामांकन प्रक्रिया 10 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही शुरू हो गई थी। आज पहले चरण के नामांकन का सातवां दिन है। पहले चरण का नामांकन कल यानी 17 अक्टूबर को समाप्त होगा। इसके बावजूद अबतक महागठबंधन ने सीट बंटवारे का अपना फॉर्मूला सार्वजनिक नहीं किया है। जिससे उसके समर्थकों और संभावित उम्मीदवारों के बीच इंतजार बढ़ता जा रहा है।
इन सबके बीच एनडीए ने न केवल अपनी सीट बंटवारे की योजना साझा की है, बल्कि उसके लगभग सभी घटक दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम जारी करके इडिया गठबंधन को चुनौती भी दे दी है। खासकर नीतीश कुमार की जेडीयू ने अब तक 101 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। उम्मीदवारों की सूची में सबसे अधिक 37 प्रत्याशी पिछड़े वर्ग के हैं। इससे बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदलनी शुरू हो गई है। प्रशांत किशोर के जन सुराज ने जिस तरह से जातिगत समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश की थी, वह अब नीतीश कुमार के सोशल इंजीनियरिंग कार्ड के सामने फीका पड़ता दिख रहा है।
बिहार इलेक्शन 2025: नीतीश कुमार ने इन सबकी बढ़ाई टेंशन
मालूम हो कि तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और प्रशांत किशोर द्वारा बिहार के हित में उठाए गए मुद्दे युवाओं के लिए बेहद प्रासंगिक रहे हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में युवा भाजपा और जदयू से जुड़ाव दिखा रहे हैं। जिसका असर सोशल मीडिया पर दिख रहा है। इसके अलावा तेजस्वी की पार्टी राजद और प्रशांत किशोर का जन सुराज, दोनों ही जातीय समीकरणों को संतुलित करते हुए टिकट बंटवारे पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। ये नेता अक्सर कहते रहे हैं कि जितनी बड़ी आबादी, उतनी बड़ी हिस्सेदारी।
हालाँकि, राजनीतिक सोशल इंजीनियरिंग में माहिर नीतीश कुमार ने इन मुद्दों पर ऐसे जवाब दिए हैं जिससे सभी प्रमुख विपक्षी दल स्तब्ध हैं। अब तक जदयू ने अति पिछड़ा वर्ग से 22 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। सामान्य वर्ग के 22 उम्मीदवार भी जदयू की ओर से प्रत्याशी हैं, जिन्हें पार्टी का सिंबल दिया गया है। जदयू ने अनुसूचित जाति से 15, अल्पसंख्यक समुदाय से चार और अनुसूचित जनजाति से एक उम्मीदवार को भी टिकट दिया है।
बता दें कि बिहार इलेक्शन 2025 के लिए जदयू ने कुल 13 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बहरहाल, यह देखना बाकी है कि बिहार की जनता इस चुनाव में पूर्ण बहुमत किस अलायंस को देगी या त्रिशंकु बहुमत देखने को मिलेंगे। जिसका जवाब 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर मिल जाएँगे। तब तक बिहार चुनाव से जुड़ी अपडेट्स के लिए डीएनपी इंडिया हिंदी पर नज़र बनाए रखें।
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